आईसीसी ने जिस नियम पर बैन लगाया हुआ है अब वो आईपीएल 2025 में होता दिख सकता है. दरअसल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) एक ऐसे फैसले पर विचार कर रहा है जिसका पूरे क्रिकेट वर्ल्ड पर असर हो सकता है. BCCI आईपीएल 2025 में गेंद पर लार लगाने पर लगी रोक को हटाने की योजना बना रहा है. ये प्रस्ताव BCCI के भीतर लंबी चर्चा के बाद तैयार किया गया है और इसे गुरुवार को मुंबई में होने वाली बैठक में सभी आईपीएल टीमों के कप्तानों के सामने रखा जाएगा. आईसीसी ने COVID-19 महामारी के दौरान सावधानी के तौर पर गेंद पर लार लगाने की प्रथा पर रोक लगा दी थी. 2022 में, ICC ने इस बैन को स्थायी बना दिया. आईपीएल ने भी महामारी के बाद अपने खेल नियमों में इस बैन को शामिल किया था, लेकिन आईपीएल के दिशा-निर्देश ICC के दायरे से बाहर हैं.
क्या कहा BCCI अधिकारी ने?
BCCI के एक बड़ेअधिकारी ने PTI को बताया, ‘COVID से पहले गेंद पर लार लगाना खेल का एक अहम हिस्सा था. अब जब ये खतरा नहीं है, तो हमें लगता है कि आईपीएल में लार पर लगी रोक हटाने में कोई नुकसान नहीं है. हम समझते हैं कि ये लाल गेंद क्रिकेट में ज्यादा प्रभाव डालता है, लेकिन अगर ये सफेद गेंद क्रिकेट में भी गेंदबाजों की मदद कर सकता है, तो इसे आईपीएल में शुरू करना चाहिए. आईपीएल एक ट्रेंड सेटिंग टूर्नामेंट है. देखते हैं कि कप्तान गुरुवार को क्या फैसला लेते हैं.’ अगर आईपीएल में ये प्रतिबंध हटा दिया जाता है, तो ICC को भी इस मुद्दे पर अपना रुख बदलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
मोहम्मद शमी ने भी की थी बैन हटाने की वकालत
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी ने गेंद पर लार लगाने की इजाजत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि ये कदम गेंदबाजों के लिए अहम है, खासकर जब क्रिकेट एक बैटिंग फ्रेंडली खेल बनता जा रहा है. शमी के इस बयान को वर्नॉन फिलेंडर और टिम साउथी जैसे दिग्गज गेंदबाजों का भी समर्थन मिला था. शमी ने कहा था, ‘हम लगातार अपील करते रहे हैं कि हमें गेंद पर लार लगाने की इजाजत दी जाए, ताकि रिवर्स स्विंग को वापस लाया जा सके और खेल को और दिलचस्प बनाया जा सके.’
आईपीएल के मौजूदा नियम क्या कहते हैं?
आईपीएल के मौजूदा नियमों के अनुसार, अगर गेंद पर लार लगाने का पहला मामला सामने आता है, तो फील्डिंग टीम के कप्तान को चेतावनी दी जाती है. अगर ये दूसरा मामला होता है, तो कप्तान को दूसरी और आखिरी चेतावनी दी जाती है. तीसरे या उससे ज्यादा मामलों में, खिलाड़ी पर 10 लाख रुपये या उसकी मैच फीस का 25% जुर्माना लगाया जा सकता है.