आज के आधुनिक युग में इंसान अब डॉक्टरों की मदद से सी-सेक्शन के माध्यम से अपने बच्चे को निश्चित समय और तारीख पर जन्म दिला दे रहा है. इसमें सफलता भी मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में एक प्राणी ऐसा भी है जो इस काम को प्राकृतिक तरीकों से करता है. आइए जानते हैं इस जीव के बारे में विस्तार से…
जीव का नाम
एक शोध में ऐसा पता चला है जो यह काम करने में सक्षम है. उन्हें एक विशेष पर्यावरणीय माहौल में विकसित होने का अवसर दिया गया. आमतौर पर कई मछलियां अपनी इच्छानुसार बच्चों को जन्म देने की शक्ति रखते हैं. लेकिन जेब्रा मछली इस मामले में थोड़ी अलग है. ज़ेबरा मछली का भ्रूण जनन थायरोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन को ख़त्म कर देता है. इसकी मदद से जरूरी एंजाइम रिलीज होते हैं, जो अंडे की दीवार को बदलने का काम करते हैं.
जो अंडे सेने की प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अनुकूल वातावरण के कारण मछली का अंडों से निकलना संभव होता है. शुरुआती दिनों में बच्चे के जीवित रहने को लेकर संदेह होने पर यह निर्णय लिया जाता है.
लहरों का इंतज़ार करती है
मछलियां अलग-अलग तरीकों से अंडे सेती हैं. उनके पास एक रणनीति है. वह उस रणनीति के तहत बच्चों को जन्म देती है. जेब्रा मछली दिन के उजाले का इंतज़ार करती है. क्लोनफ़िश और हैलीबट रात का इंतज़ार करती हैं. कैलिफ़ोर्निया ग्रोनियन मछली खुद को और अपने अंडों को दूर ले जाने के लिए समुद्र की लहरों का इंतज़ार करती है.
डिसाइड करता है अपना जन्म
जब जेब्रा मछली को बच्चे को दुनिया में लाना होता है. तो वह Trh निकालती है वह इसी का इंतजार करती रहती है. ये हार्मोन रक्त के माध्यम से अंडे सेने वाली ग्रंथि को तंत्रिका सर्किट तक संदेश पहुंचाते हैं ताकि यह बता सकें कि बच्चे का जन्म कब होना है. यह परिपथ अंडे सेने से ठीक पहले बनता है. यह अंडे सेने के तुरंत बाद समाप्त हो जाता है.