डॉक्टरों को भगवान का ही रूप माना जाता है. मगर कभी-कभी हमारी जान बचाने वाले डॉक्टर भी लापरवाही कर जाते हैं, जिससे मरीज की जान पर बन आती है. ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से सामने आया है. यहां 2017 में एक गर्भवती महिला का ऑपरेशन किया गया था. मगर महिला की बाद में तबीयत बिगड़ गई. उसे दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया तो पता चला कि पहले अस्ताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में खून सूखाने का माप छोड़ दिया था.
दूसरे अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बाहर तो निकाल दिया मगर कुछ दिन बाद महिला की मौत हो गई. महिला के पति ने फिर उपभोक्ता फोरम में इसे लेकर प्रतिवाद दाखिल किया था. जिस पर उपभोक्ता फोरम ने अब उस अस्पताल पर ₹1200000 का जुर्माना लगाया है.
मामला दिलदारनगर के कादरी अस्पताल का है. कादरी अस्पताल में महिला का ऑपरेशन हुआ था. वहां डॉक्टरों ने खून सुखाने का माप महिला के पेट में छोड़ दिया था. तबीयत बिगड़ने पर फिर महिला को शम्मे हुसैनी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहीं पर पहले अस्पताल के डॉक्टरों की करतूत सामने आई.
दिलदारनगर में साल 2017 में कादरी अस्पताल चला करता था. इसके प्रबंधन डॉक्टर मनोज सिंह और प्रबंध निदेशक डॉक्टर एके तिवारी रहे. राम आशीष नामक शख्स की पत्नी को यहां 27 मार्च 2017 के दिन गंभीर हालत में भर्ती करवाया गया. महिला का ऑपरेशन किया गया. उसने एक बेटी को जन्म दिया. मगर उसकी हालत बिगड़ने पर उसे रेफर कर दिया गया. इसके बाद उसका इलाज शम्मे हुसैनी अस्पताल हमीद सेतु के पास कराया गया. उस समय डॉक्टर संजीव कुमार ने जब महिला की जांच की तो पता चला कि उसके पेट में खून सूखने का माप है, जिसे डॉक्टरों ने लापरवाही के चलते छोड़ दिया था. उसे बाहर निकाला गया. मगर कुछ दिन के इलाज के बाद उसकी अस्पताल में ही मौत हो गई.
डॉक्टर मनोज सिंह पर FIR
इसके बाद राम आशीष ने इस मामले में कार्रवाई के लिए सीएमओ, डीएम के साथ ही अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को शिकायत पत्र दिया. सीएमओ की जांच में आरोपी की पुष्टि भी हुई और डॉक्टर मनोज सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई.
दो महीने में 12 लाख देने का आदेश
वहीं, पीड़ित के द्वारा इस मामले की जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की गई थी. इस पर आयोग के अध्यक्ष सुजीत श्रीवास्तव ने साक्ष्यों का अवलोकन करने के साथ ही दोनों पक्ष के वकीलों को सुना और यह कंफर्म हुआ कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऑपरेशन के बाद में इंफेक्शन के कारण मौत हुई की पुष्टि हुई. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन को दो महीने के अंदर पीड़ित परिवार को 12 लाख रुपये बतौर जुर्माना देने का आदेश दिया.