पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ भारत एक साथ मजबूती से खड़ा हुआ नजर आ रहा है. पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक केंद्र सरकार के हर कदम के साथ विपक्ष खड़ा है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के लिए अपने समर्थन के लिए कोई शर्त नहीं रखी. उन्होंने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ हर कदम उठाने की छूट दी. इसके भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने को नष्ट किया तो बिना सवाल उठाए और सबूत मांगे सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए.
पहलगाम मामले में विपक्ष उरी और पुलवामा मामले जैसी गलती नहीं दोहरा रहा है. भारतीय सेना ने उरी हमले के बाद सार्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा के हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक की थी, जिसे लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए थे और सबूत मांग रहे थे. बीजेपी ने विपक्ष को राष्ट्र विरोधी कठघरे में खड़ा कर दिया था, जिसका खामियाजा विपक्ष को सियासी तौर पर उठाना पड़ा था. ऐसे में पहलगाम हमला और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर तक विपक्ष सेना और सरकार के साथ मुस्तैदी के साथ खड़ा नजर आ रहा.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने निर्दोष 26 पर्यटकों को गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था. इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने बिना शर्त सरकार के समर्थन करने का ऐलान कर दिया था, लेकिन कांग्रेस और कुछ क्षेत्रीय दलों बाद में ‘सुरक्षा और खुफिया एजेंसी की चूक’ का मुद्दा उठाया था. इसके बावजूद विपक्ष ने सरकार से समयबद्ध तरीके से जवाबदेही तय करने की मांग की थी और कहा था कि यह ‘एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान को सबक सिखाने और आतंकवाद पर निर्णायक रूप से अंकुश लगाने की हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करने का समय है.
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक किया तो बिना समय गंवाए विपक्ष ने स्वागत किया. विपक्ष ने सेना को श्रेय देते हुए ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारे बुलंद किए. इस तरह सरकार के हर कदम पर विपक्ष मजबूती के साथ खड़ा नजर आया और भारतीय सेना का हौसला बढ़ाने में जुटे हैं. इस तरह से विपक्ष का मूड पहले की सियासी स्टैंडों से बिल्कुल अलग नजर आया है. विपक्ष की तरफ से कोई भी सवाल नहीं खड़े किए जा रहे हैं और नही ऑपरेशन सिंदूर के सबूत मांगे जा रहे हैं.
पुलवामा के बाद कांग्रेस को नुकसान
साल 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें देश के 40 सुरक्षा जवानों की मौत हो गई थी. इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे. बालाकोट हमले के एक दिन बाद ही लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर प्रचार किया गया. ऐसे में 21 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा था कि वे बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए सरकार द्वारा सेना के बलिदानों के मुद्दे पर राजनीति करने पर दुख जाहिर किया था.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार से बालाकोट पर एयर स्ट्राइक पाकिस्तान को हुए नुकसान के ‘सबूत’देने की मांग की थी, जिसके लिए खुद उनको और कांग्रेस पार्टी को अलोचना का सामना करना पड़ा था. इस बात को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कवायद की थी, जिसका काफी नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा था.
सर्जिकल स्ट्राइक कांग्रेस घिरी थी
आतंकियों ने साल 2016 में उरी के सैन्य शिविर अटैक किया था, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादियों के लॉचपैड पर सर्जिकल स्ट्राइक थी. सर्जिकल स्ट्राइक के दूसरे दिन मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अस्पताल में भर्ती सोनिया गांधी से मिलने के लिए खुद गई थीं. सर्वदलीय बैठक में मोदी सरकार ने ऑपरेशन के डिटेल्स तो कम ही दिए, लेकिन सोनिया गांधी ने बयान जारी करके कहा था पार्टी ‘सरकार के साथ खड़ी है’ और स्ट्राइक को “एक मजबूत संदेश बताया था, जो हमारे देश के सुरक्षा बलों और हमारे लोगों पर आगे की घुसपैठ और हमलों को रोकने के संकल्प को दर्शाता है.
राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा था कि हम सभी आतंकवाद और आतंकियों को सह देने वाले के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और एकजुट हैं. कांग्रेस पार्टी और मैं देश के जवानों को सलाम करते हैं. हालांकि, कुछ दिनों बाद राहुल ने पीएम मोदी पर ‘जवानों के खून पर राजनीति करने’ का आरोप लगाया था. हमले के बाद उन्होंने कहा कि मैं सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा समर्थन करता हूं और मैंने यह स्पष्ट रूप से कहा है, लेकिन मैं पूरे देश में राजनीतिक पोस्टरों और प्रचार में भारतीय सेना के इस्तेमाल का समर्थन नहीं करूंगा.
राहुल के इस रुख पर न केवल भाजपा बल्कि आम आदमी पार्टी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि राहुल गांधी को ‘दलाली’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था और समय की मांग है कि सभी एकजुट हों. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने हमारे जवानों के बारे में जो बात कही, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं. वहीं, बीजेपी के अध्यक्ष रहे अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कुछ पार्टियों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने की कोशिश की, कुछ ने संदेह भी जताया, मैं उन सभी की निंदा करता हूं, जिन्होंने हमारे भारतीय सशस्त्र बलों का अपमान किया है. इस तरह से कांग्रेस के लिए बाद में जवाब देना महंगा पड़ गया था.
कांग्रेस ने बदला सियासी स्टैंड
कांग्रेस का अब सियासी स्टैंड पूरी तरह से बदल गया है. उरी और पुलवामा के बाद भारतीय सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस पार्टी ऑपरेशन सिंदूर के ऐक्शन पर साथ खड़ी नजर आ रही है. मोदी सरकार के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के विवरण सामने आने के साथ ही कांग्रेस ने पार्टी लाइन को लेकर किसी तरह की कोई उलझन न हो, इसके लिए कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई ली. राहुल गांधी ने कहा कि हमने चर्चा की और सेना को हमारा पूरा समर्थन है. देश की सेना को शुभकामनाएं, उन्हें ढेर सारा प्यार, कांग्रेस पार्टी की ओर से पूरा समर्थन.
कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि वह पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के सुझाव पर, संविधान बचाओ रैलियों सहित अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रमों को फिलहाल स्थागित कर दिया है. इतना ही नहीं कर्नाटक कांग्रेस ने अपने एक्स पर किए उस पोस्ट को हटा दिया, जिसमें सेना के जवानों की प्रशंसा करने वाली एक पोस्ट लगाई गई थी. पहले की पोस्ट में कहा गया था, मानवता का सबसे शक्तिशाली हथियार शांति है -महात्मा गांधी.’
एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उन्होंने मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की है और उन्हें अपनी पार्टी का पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा तमाम विपक्षी दलों ने भी पहलगाम हमले के बाद से सरकार के साथ खड़े होने और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई की सराहना करने में एक भी मिनट देर नहीं लगाई.
यूपीए सरकार के दौरान रक्षा मंत्री रहे ए के एंटनी, जिन पर मोदी सरकार अक्सर हमला करती रही है, उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सिर्फ ‘ एक शुरुआत’ कहा था. उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि भारतीय सेना सीमा पर पाकिस्तानी सेना के ठिकानों के पीछे स्थित आतंकी शिविरों को निशाना बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाएगी. आप नेता केजरीवाल ने कहा कि भारतीय सेना का साहस हर नागरिक का विश्वास है. हम सब एक साथ हैं और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं. ऐसे ही आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने भी ऑपरेशन सिंदूर के कदम का स्वागत किया और देश के जवानों को सल्यूट.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव, जो अक्सर बीजेपी विरोध में खड़े रहते हैं, उन्होंने पहलगाम हमले के बाद से सरकार के सुर में सुर मिलाते नजर आए. ऑपरेशन सिंदूर का सराहना किया और पाकिस्तान पर एक्शन के लिए सेना के जवानों की तरीफ किया. यही नहीं सीपीआई का भी मानना है कि पहलगाम हमले के बाद भारत के पास जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. लेफ्ट इससे पहले तक ऐसी कार्रवाई के खिलाफ रहती थी, लेकिन पहलगाम हमले ने उसके तेवर को बदल दिया है. इस तरह अन्य विपक्षी नेताओं की ओर से भी इसी तरह के प्रशंसात्मक बयान आए.