गुजरात समाचार के मालिक बाहुबली शाह को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में शनिवार की सुबह गिरफ्तार किया था, लेकिन कुछ ही घंटे बाद उन्हें स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिल गई. 73 वर्षीय बहुबली शाह के ठिकानों पर ईडी ने शनिवार की सुबह कई जगह छापेमारी की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. बहुबली शाह 15 से ज्यादा व्यावसायिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. वे लोक प्रकाशन लिमिटेड के निदेशक हैं, जो गुजरात समाचार और जीएसटीवी (GSTV) चैनल चलाता है. उनके बड़े भाई श्रेयांश शाह (85) अखबार के मैनेजिंग एडिटर हैं.
गिरफ्तारी के कुछ समय बाद बहुबली शाह की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिलहाल ईडी ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
इस गिरफ्तारी से न सिर्फ सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हुई, बल्कि यह मामला राजनीतिक हलकों में भी गूंज उठा. विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और इसे मीडिया को डराने और दबाने की साजिश बताया.
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने X पर लिखा कि ‘गुजरात समाचार को खामोश करने की कोशिश सिर्फ एक अख़बार की नहीं, पूरे लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की एक और साज़िश है. जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अख़बारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब समझ लीजिए लोकतंत्र खतरे में है. बाहुबली शाह की गिरफ्तारी डर की उसी राजनीति का हिस्सा है, जो अब मोदी सरकार की पहचान बन चुकी है. देश न डंडे से चलेगा, न डर से.. भारत चलेगा सच और संविधान से.’
वहीं, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस गिरफ्तारी को भाजपा द्वारा स्वतंत्र मीडिया को सरकार के अनुरूप चलने के लिए मजबूर करने का प्रयास बताया. उधर, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बीजेपी की हताशा को दर्शाता है, जो हर उस आवाज को चुप कराना चाहती है, जो सच बोलती है और सवाल उठाती है.
कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 25 वर्षों से गुजरात समाचार केंद्र सरकार की आलोचनात्मक रिपोर्ट्स प्रकाशित करता रहा है, इसलिए टारगेट किया जा रहा है.