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2025 में उड़ा प्लेन, 2024 में हुआ लैंड, आखिर कैसे ‘टाइम ट्रैवल’ कर गया ये प्लेन 

2024 बीत चुका है और 2025 चल रहा है. लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि एक फ्लाइट ने 2025 में उड़ान भरी और 2024 में लैंड की, तो शायद आप हैरान रह जाएंगे. टाइम ट्रैवल के किस्से आपने बहुत सुने होंगे, जहां समय से आगे या पीछे जाने की बात की जाती है. हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो किसी टाइम ट्रैवल जैसी लगती है. हालांकि, यह सचमुच का टाइम ट्रैवल नहीं था. आइए, जानते हैं यह माजरा क्या है.

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कैथे पैसिफिक की फ्लाइट CX880 ने बदला समय का खेल

कैथे पैसिफिक की फ्लाइट CX880 ने 1 जनवरी 2025 को हांगकांग से उड़ान भरी और 31 दिसंबर 2024 को लॉस एंजेलिस में लैंड किया. यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन इसके पीछे का कारण है इंटरनेशनल डेट लाइन.

इंटरनेशनल डेट लाइन क्या है?

इंटरनेशनल डेट लाइन एक काल्पनिक रेखा है जो प्रशांत महासागर के बीचों-बीच स्थित है. यह रेखा धरती पर दो अलग-अलग तारीखों को विभाजित करती है. जब कोई विमान इस रेखा को पार करता है, तो तारीख बदल जाती है.पश्चिम की ओर जाने पर तारीख एक दिन आगे बढ़ जाती है.पूर्व की ओर आने पर तारीख एक दिन पीछे चली जाती है.

इसे आसान शब्दों में समझें

मान लीजिए, आप 1 जनवरी को सुबह हांगकांग से फ्लाइट पकड़ते हैं. अगर फ्लाइट इंटरनेशनल डेट लाइन को पार करते हुए लॉस एंजेलिस पहुंचती है, तो वहां की तारीख 31 दिसंबर होगी. ऐसा महसूस होगा मानो आप ‘समय में पीछे चले गए’. लेकिन ये मुमकिन इंटरनेशनल डेट लाइन की वजह से हुआ.

यात्रियों का दो बार न्यू ईयर सेलिब्रेशन

कैथे पैसिफिक की इस फ्लाइट पर बैठे यात्रियों के लिए यह यात्रा बेहद खास रही. उन्होंने नए साल का जश्न पहले हांगकांग में मनाया और फिर लॉस एंजेलिस पहुंचकर दोबारा वही जश्न मनाया. यह उनके लिए यादगार अनुभव बन गया.

इंटरनेशनल डेट लाइन क्यों है खास?

इंटरनेशनल डेट लाइन दुनिया भर की तारीखें तय करने में मदद करती है. हालांकि, इसका कोई कानूनी दर्जा नहीं है. यह रेखा सीधी नहीं है बल्कि देशों और उनके भूगोल के अनुसार घुमावदार है. उदाहरण के लिए, यह रूस और अलास्का के बीच जिगजैग करती है.इस अनोखे सफर ने यात्रियों को ‘टाइम ट्रैवल’ जैसा अनुभव कराया और यह घटना सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बनी.

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