रेप के दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में पीड़िता को किया प्रपोज, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रेप के दोषी की सजा निलंबित कर दी. इसकी वजह ये है कि दोषी और पीड़िता ने एक-दूसरे से शादी करने की इच्छा जताई थी. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने जोड़े को कोर्ट रूम के अंदर ही उन्हें एक-दूसरे को फूल देने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति से महिला को प्रपोज करने का आग्रह करने से पहले कहा, हमने लंच सेशन में दोनों से मुलाकात की. दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने की इच्छा जाहिर की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति की सजा निलंबित करते हुए कहा कि वो (रेप का दोषी और पीड़िता) एक-दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हैं. शादी की डिटेल माता-पिता द्वारा तय की जाएगी. हमें उम्मीद है कि शादी जल्द से जल्द हो जाएगी. ऐसी परिस्थितियों में हम सजा निलंबित करते हैं और याचिकाकर्ता को रिहा करते हैं. 6 मई के निर्देश के अनुसार याचिकाकर्ता आज इस कोर्ट के समक्ष पेश हुआ. उसे वापस जेल भेजा जाएगा और जल्द से जल्द संबंधित सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा.

जानें क्या है मामला

बता दें कि दोषी ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 5 सितंबर 2024 के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें सीआरपीसी की धारा 389 (1) के तहत सजा के निलंबन के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था. उसके खिलाफ 2021 में एफआईआर दर्ज हुई थी. इसमें उस पर 2016 से 2021 के बीच शादी का झूठा वादा करके पीड़िता से बार-बार रेप करने का आरोप लगाया गया था.

एफआईआर के अनुसार, व्यक्ति की महिला से फेसबुक के जरिए मुलाकात हुई थी. वह उसकी बहन की दोस्त थी. उनके बीच संबंध बने. आरोप है कि हर बार उसने उसे आश्वासन दिया कि वह उससे शादी करेगा.

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को निर्देश

वहीं, एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए प्राथमिकता के आधार पर समर्पित पॉक्सो अदालतें बनाए. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के मामलों के लिए विशेष अदालतों की संख्या कम होने के चलते सुनवाई पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं हो पा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसलिए अपेक्षा की जाती है कि केंद्र और राज्य सरकारें पॉक्सो मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उचित कदम उठाएंगी. साथ ही पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए अदालतें भी बनाई जाएंगी. कोर्ट ने निर्धारित अनिवार्य अवधि के भीतर चार्जशीट दाखिल करने के अलावा निर्धारित समय में केस की सुनवाई पूरा करने का भी निर्देश दिया.

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