सरकारी योजनाओं की हकीकत आई सामने: आदिवासी महिलाओं की इज्जत बनी मज़ाक, अब कलेक्टर से लगाई गुहार

सीधी: जिले की ग्राम पंचायत बम्हनी की आदिवासी महिलाओं ने सरकार की बहुप्रचारित योजनाओं की सच्चाई को उजागर कर दिया है. मंगलवार को ये महिलाएं बड़ी संख्या में जिला पंचायत जनसुनवाई में पहुंचीं और जिला पंचायत सीईओ अंशुमान राज के सामने अपनी पीड़ा रखी. महिलाओं ने बताया कि शौचालय न होने की वजह से उन्हें आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता है. पीड़ा सिर्फ इतनी नहीं है, इन महिलाओं ने आरोप लगाया कि खुले में शौच जाते समय कुछ असामाजिक तत्व उनके वीडियो बनाते हैं और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी अस्मिता और सम्मान पर बार-बार चोट पहुंचती है.

इन हालातों में आदिवासी समाज की बहू-बेटियों की सुरक्षा और सम्मान दोनों खतरे में हैं. महिलाओं ने बताया कि सरकारी योजना के तहत शौचालय तो बनाए गए थे, लेकिन वो सिर्फ कागजों पर या फिर इतनी घटिया गुणवत्ता के कि आज पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं. वहीं कई घर आज भी शौचालय से वंचित हैं, जिससे साफ होता है कि पूर्व सरपंच-सचिव ने इस योजना में भारी गड़बड़ी की है.

इस गंभीर शिकायत पर जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि जो परिवार स्वयं शौचालय बनवाना चाहें, उन्हें सरकार द्वारा राशि दी जाएगी. वहीं, सार्वजनिक शौचालय की मांग पर उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही बम्हनी गांव में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया जाएगा. मगर सवाल यह है कि सीधी जिले में पहले से ही बने 500 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों की हालत बदहाल क्यों है? कहीं पानी नहीं है, कहीं ताले लटके हैं और कहीं शौचालयों में लकड़ी व कबाड़ रखा है. ऐसे में महज घोषणा करने से समाधान नहीं होगा, ज़रूरत है जमीनी हकीकत में सुधार की.

अब देखना यह है कि बम्हनी की इन आदिवासी महिलाओं की आवाज़ सिर्फ कागजों में दबकर रह जाती है या फिर वाकई में कोई ठोस कार्रवाई होती है. फिलहाल तो सरकारी सिस्टम के खोखले दावों पर एक और सवालिया निशान लग गया है.

Advertisements