संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ झूठ फैलाने की कोशिश की है. पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है. इसका जवाब देते हुए भारत ने पड़ोसी मुल्क को आईना दिखाया और महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर पाकिस्तान के ‘निंदनीय’ रिकॉर्ड की याद दिलाई.
पाकिस्तानी सेना ने किए यौन अपराध
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मंगलवार को संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा पर खुली बहस में बोलते हुए भारतीय राजनयिक एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने साफ किया कि पाकिस्तान के पास दूसरों को उपदेश देने का कोई नैतिक आधार नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभारी पुन्नूस ने कहा, ‘जिस तरह से पाकिस्तानी सेना ने 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में लाखों महिलाओं के खिलाफ घोर यौन हिंसा के जघन्य अपराध किए, वह शर्मनाक है.’ उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और लड़कियों को आज भी अपहरण, तस्करी, जबरन विवाह और धर्मांतरण का सामना करना पड़ता है. पुन्नूस ने बताया कि पाकिस्तान की न्यायपालिका भी महिलाओं के खिलाफ इन अपराधों को मान्यता देती है.
न्याय के रक्षक बनने का ढोंग
उन्होंने कहा, ‘यह विडंबना है कि जो लोग इन अपराधों को अंजाम देते हैं, वे अब न्याय के रक्षक होने का ढोंग रच रहे हैं. उनका झूठ और पाखंड खुद सबके सामने है.’
सतत सामाजिक विकास संगठन की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में पिछले साल अपहरण के 24,000 से ज़्यादा मामले, बलात्कार के 5,000 मामले और हत्या के 500 मामले दर्ज किए गए. सिंध प्रांत में कई पीड़ित हिंदू अल्पसंख्यक लड़कियां थीं, जिन्हें जबरन शादी और धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था. हालांकि, दोषसिद्धि की दर बहुत कम, दो प्रतिशत से भी नीचे बनी हुई है.
लैंगिक हिंसा के खिलाफ भारत के कदम
जवाबदेही की मांग करते हुए, पुन्नूस ने ज़ोर देकर कहा कि पीड़ितों को स्वास्थ्य सेवा से लेकर कानूनी सहायता तक, व्यापक समर्थन की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा के जघन्य कृत्यों के दोषियों की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.’
राजदूत ने घरेलू और वैश्विक शांति अभियानों में लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए भारत के कोशिशों के बारे में बताते हुए कहा कि यौन शोषण और दुर्व्यवहार के पीड़ितों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ट्रस्ट फंड में योगदान देने वाले पहले देशों में से एक भारत था, और 2017 में शांति अभियानों में ऐसे अपराधों को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ एक स्वैच्छिक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
संयुक्त राष्ट्र के मिशनों में योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में यौन शोषण की रोकथाम के लिए लीडिंग ग्रुप में शामिल हो गया है. पुन्नूस ने बताया कि भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली महिला पुलिस यूनिट तैनात की थी और संयुक्त राष्ट्र मिशनों में महिला टुकड़ियां भेजना जारी रखा है. उन्होंने कहा कि ये टीमें ‘स्थानीय समुदायों से जुड़ने और जेंडर सेंसिटिविटी के मुद्दों को सुलझाने में बेहद सफल रही हैं.’
पुन्नूस ने कहा कि घरेलू स्तर पर भारत ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित प्रणालियां बनाई हैं, जिनमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1.2 बिलियन डॉलर का निर्भया फंड, एक इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर (112) और जिलों में पुलिस, चिकित्सा और कानूनी सहायता देने वाले सखी वन स्टॉप सेंटर शामिल हैं.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, ‘भारत ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक व्यापक घरेलू रणनीति लागू की है. इससे संघर्ष की स्थितियों में पीड़ितों के लिए जीवन रक्षक सेवाओं और सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है.