भोपाल। दुनिया का इकलौता देश भारत है, जिसमें अनेक भाषाएं और सैंकड़ों बोलिया मौजूद हैं। इन बोलियों और भाषाओं का आपसी रिश्ता भी बहुत पुराना और गहरा है। उर्दू के साथ संस्कृत और अरबी के रिश्ते भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं। केंद्रीय साहित्य अकादमी द्वारा बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात कही गई।
कार्यक्रम में अकादेमी के चंद्रभान खयाल ने कहा कि उर्दू हास्य की परंपरा मप्र का नाम लिए बिना अधूरी है। उन्होंने भोपाल और मध्य प्रदेश का जिक्र करते हुए भोपाल और मध्य प्रदेश की उर्दू भाषा की विकास यात्रा पर भी प्रकाश डाला। इससे पहले राष्ट्रीय संवाद का उद्घाटन करते हुए प्रमुख हिंदी लेखक और रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि हास्य हर जगह है, उसे महसूस करने की जरूरत है। प्रसिद्ध लेखका एवं केंद्रीय साहित्य अकादमी उर्दू सलाहकार बोर्ड के सदस्य जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा कि भाषाओं का रिश्ता सदियों पुराना है। उन्होंने उर्दू के साथ संस्कृत और अरबी के रिश्ते पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने क्षेत्रीय साहित्य को बढ़ावा देने और उर्दू संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में केंद्रीय साहित्य अकादमी के उप सचिव अनुपम तिवारी ने कार्यक्रम के लक्ष्य एवं उद्देश्यों तथा साहित्य अकादमी की कार्यप्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। राष्ट्रीय संवाद के दौरान मुख्य अतिथि एवं एमएलबी गर्ल्स डिग्री कॉलेज के प्राचार्य मुकेश दीक्षित ने कहा कि कार्यक्रम को समय की आवश्यकता है।
۔राष्ट्रीय संवाद के उद्घाटन सत्र के संचालन का दायित्व बदर वास्ती ने निभाया तथा अतिथियों का आभार केन्द्रीय साहित्य अकादमी उर्दू सलाहकार बोर्ड की सदस्य डॉ. बालकीस जहां ने माना।
राष्ट्रीय संवाद के उद्घाटन सत्र के बाद, एक तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रमुख लेखक जानकी प्रसाद शर्मा ने की और डॉ. सैफी सरोंजी और जावेद आलम ने उर्दू हास्य पर अपने पत्र प्रस्तुत किए।
दूसरे सेशन की अध्यक्षता प्रमुख साहित्यकार डॉ. मुहम्मद नौमान खान ने की। डॉ जफर महमूद और प्रो. डॉ अहसान, डॉ शकील ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये और मध्य प्रदेश में कॉमेडी की परंपरा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
खानदेश की सूक्ष्म कविता शीर्षक से अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।उज्जैन से आए प्रमुख लेखक एवं शोधकर्ता डॉ. जफर महमूद ने हास्य पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत कर श्रोताओं का ज्ञान बढ़ाया हास्य पर थीसिस कार्यक्रम के समापन से पहले हास्य पर आधारित मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें अध्यक्षता का दायित्व उस्ताद शायर जफर सहबाई, शेख निज़ामी जबलपुर, सलाम खोकर रतलाम, डॉ. परवीन कैफ भोपाल एवं खुर्शीद ने निभाया। इस अवसर पर डॉ. बिलकिस जहां की पुस्तक बासित भोपाली कला और व्यक्तित्व, अफरोज जहां की पुस्तक भोपाल में उर्दू व्यंग्य और हास्य साहित्य की विकासवादी समीक्षा, डॉ. सफिया सुल्तान की पुस्तक इशरत कादरी अपनी कला के दर्पण में और मुनीर दरवेश की पुस्तक मूमके राष्ट्रीय संवाद में प्रकाशित हुईं।