भारत ने गुरुवार को मीडिया में आई उस खबर को गलत बताया, जिसके मुताबिक भारतीय हथियार यूरोपीय ग्राहकों ने यूक्रेन भेजे हैं. खबरें थी कि भारतीय हथियार निर्माताओं के बेचे गए तोप के गोले यूरोपीय ग्राहकों द्वारा यूक्रेन भेजा जा रहा है और भारत ने इसे रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ऐसी खबरों का खंडन किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने रॉयटर्स की खबर देखी है. यह काल्पनिक और भ्रामक है. इसमें भारत द्वारा उल्लंघन करने के संकेत है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है, इसलिए यह गलत और शरारतपूर्ण है.’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सैन्य और दोहरे (सैन्य और असैन्य) उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुपालन का भारत का रिकॉर्ड ‘बेदाग’ रहा है. जायसवाल ने कहा, ‘भारत अपने रक्षा निर्यात को परमाणु अप्रसार संबंधी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए और अपने स्वयं के मजबूत कानूनी और नियामक ढांचे के आधार पर कर रहा है. इसमें अंतिम उपयोगकर्ता दायित्वों और प्रमाणन सहित प्रासंगिक मानदंडों का समग्र मूल्यांकन शामिल है.’
Our response to media queries on Reuters report on diversion of Indian Defence Exports to Ukraine:https://t.co/uvfgB8gF3f pic.twitter.com/3qIVU0W9YW
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 19, 2024
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय हथियार निर्माताओं द्वारा बेचे जाने वाले तोप के गोले यूरोपीय ग्राहकों की ओर से यूक्रेन भेजे जा रहे हैं. वहीं, रूस के विरोध के बावजूद भारत ने इस व्यापार को रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारतीय हथियार यूक्रेन को भेजने वालों में यूरोपीय देशों में इटली और चेक रिपब्लिक शामिल हैं.
रायटर्स ने एक विश्लेषण का हवाला दिया था
रायटर्स की ओर से किए गए विश्लेषण में 11 अज्ञात भारतीय, यूरोपीय सरकार और रक्षा उद्योग अधिकारियों के साथ-साथ व्यावसायिक रूप से उपलब्ध सीमा शुल्क आंकड़ों का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि रूस के खिलाफ जारी युद्ध में यूक्रेन को हथियारों की कमी पड़ी रहा है. ऐसे में यूरोपिय देश कीव का मदद कर रहे है. और भारतीय गोला बारूद यूक्रेन को निर्यात कर रहे हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन के लिए हथियारों का हस्तांतरण एक वर्ष से अधिक समय से हो रहा है. हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने माना कि वह यह निर्धारित नहीं कर सकी है कि भारतीय हथियारों को यूरोप के ग्राहकों द्वारा कीव को फिर से बेचा गया था या दान किया गया था.