श्रावस्ती : राप्ती नदी के तट पर बसे इकौना के लैबुड़वा गांव के वजूद पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सिंचाई मंत्री ने प्रशासनिक अमले के साथ मौका-मुआयना कर व्यवस्था दुरुस्त करने का फरमान भी जारी किया। इसके बाद भी ग्रामीणों की दुश्वारी बरकरार है.नदी के घटते-बढ़ते जलस्तर को देख ग्रामीणों के होश उड़ रहे हैं। कटान के भय से अपने ही घर में खानाबदोश बने लोग अपने हाथों अपना आशियाना उजाड़ने लगे हैं.
पिछले वर्ष आई बाढ़ में गांव निवासी राघवराम के तीन भाइयों सहित रामसागर का घर कट कर नदी में विलीन हो गया था। राघवराम के घर का भी कुछ हिस्सा कटकर नदी में समा गया था। ऐसे में गांव के वजूद को बचाने के लिए नदी के तट पर प्लास्टिक की बोरी में रेत भरकर लगाई गई.
इसके साथ ही नदी की धारा मोड़ने के लिए ठोकर भी बनाया गया। विगत माह बाढ़ की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने स्थानीय विधायक रामफेरन पांडेय सहित प्रशासनिक अमले के साथ मौका-मुआयना किया था.साथ ही गांव को बचाने के लिए हर संभव तैयारी करने का निर्देश भी दिया था.
विगत दिनों राप्ती नदी के बढ़े जलस्तर के साथ ही जहां गांव को कटान से बचाने के लिए लगाए गए स्पर भी धंस गए, वहीं ठोकर भी बैठ गया। ऐसे में नदी के घटते-बढ़ते जलस्तर से दहशत में आए ग्रामीण खुद अपने हाथ अपना आशियाना उजाड़ रहे हैं.
पहले विस्थापित हुए भाई अब हमारी बारी आई
लैबुड़वा निवासी राघवराम ने बताया कि उनका घर कटान के मुहाने पर है.विगत वर्ष उनके तीन भाईयों सहित एक अन्य का घर कट कर नदी की धारा में समा गया.वह आज दूसरे की जमीन में रह रहे हैं.मंत्री के आने के बावजूद जिस तरह बचाव कार्य हो रहे हैं.इससे स्पष्ट है कि अब हमारी बारी है.वहीं कृपाराम ने बताया कि मंत्री ने विधायक व अधिकारियों को अपनी देखरेख में कार्य कराने की जिम्मेदारी सौंपा था.मंत्री के जाने के बाद न तो कोई जनप्रतिनिधि आए और न ही अधिकारी। ठेकेदार भी पैसा निकाल कर ले गए। अबकी बाढ़ आई तो गांव नहीं बचेगा.इसलिए हम अपना आशियाना उजाड़ रहे हैं.
मामले पर एसडीएम इकौना ने बताया कि मैंने बाढ़ खंड के एसडीओ से इस संबंध में वार्ता कर उन्हें समस्या से अवगत करा दिया है.उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर समस्या का समाधान कराने के लिए कहा है.मैं स्वयं इसकी निगरानी कर रहा हूुं.