हमारे देश में कई बीमारियां ऐसी हैं जो चुपचाप शरीर में घर कर लेती हैं और धीरे-धीरे हमारी सेहत को अंदर से खत्म कर देती हैं. डायबिटीज भी उन्हीं में से एक है, जिसे अक्सर लोग तब तक गंभीरता से नहीं लेते जब तक यह बड़ी समस्या में न बदल जाए. हाल ही में लैंसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. भारत में हर 10 में से लगभग 4 डायबिटीज़ के मरीजों को पता ही नहीं है कि उन्हें यह बीमारी है.
यह अध्ययन 2017 से 2019 के बीच 45 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों पर हुआ, इसमें पाया गया कि, इस आयु वर्ग के 20 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. पुरुष और महिलाएं, दोनों में इसका प्रतिशत लगभग समान है. अध्ययन में यह भी सामने आया कि शहरी इलाकों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग दोगुनी है. इसका कारण जीवनशैली, खाने की आदतें और शारीरिक गतिविधियों में अंतर माना जा रहा है.
भारत में 20 से 79 वर्ष की आयु के वयस्कों में डायबिटीज़ के मरीजों की संख्या दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2019 में भारत में हुई कुल मौतों में से लगभग 3% मौतें डायबिटीज के कारण हुईं. इसके साथ ही, हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. दोनों ही बीमारियां अगर समय पर पहचानी और नियंत्रित नहीं की गईं, तो यह दिल, किडनी और आंखों जैसी कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं.
गांवों में इलाज की कमी
अध्ययन में यह भी पाया गया कि, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज की सुविधाएं काफी कमजोर हैं. ICMR और WHO द्वारा सात राज्यों के 19 जिलों में किए गए सर्वे में पता चला कि, केवल 40% सब-सेंटर्स इन बीमारियों के इलाज के लिए तैयार हैं.
एक-तिहाई केंद्रों में डायबिटीज़ की दवा मेटफॉर्मिन उपलब्ध नहीं थी
लगभग आधे केंद्रों (45%) में हाई ब्लड प्रेशर की दवा एम्लोडिपिन की कमी थी़
रोकथाम और समय पर पहचान जरूरी
डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें समय पर जांच और सही दवा लेकर नियंत्रित किया जा सकता है. शुरुआती जांच, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय पर दवा लेने से इनसे होने वाले गंभीर नुकसान को रोका जा सकता है.