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पढ़ाई नहीं, बच्चे कर रहे धान की रोपाई… स्कूल के प्रिंसिपल ने अपने खेत में लगा दी ड्यूटी

बच्चों के माता-पिता उन्हें स्कूल पढ़ाई करने के लिए भेजते हैं, लेकिन जब बच्चे स्कूल में पढ़ाई करने के बजाय खेत में जाकर धान रोपाई का काम करें, तो उनके भविष्य का जिम्मेदार कौन होगा? बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सतना जिले से आया है. यहां के एक आदिवासी स्कूल के प्रिंसिपल ने 13 बच्चों को अपने खेत में धान रोपाई करने का ठेका दे दिया. अब जब बच्चे पूरे दिन प्रधानाचार्य जी के यहां धान रोपेंगे तो पढ़ाई और क्लासेस के बारे में क्या ही कहा जाए.

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शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल के बच्चों को धान रोपते हुए देख स्थानीय लोगों के होश उड़ गए. सभी ने खेतों में काम करते हुए बच्चों के वीडियो बना लिए और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया. बच्चों से मजदूरी कराने का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. मामला जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक पहुंचा उन्होंनें प्राधानाचार्य जी को नोटिस भेज दिया गया.

14 साल के छात्र को दिया था ठेका

प्रधानाचार्य रामनरेश साकेत ने 14 साल के एक छात्र को धान रोपाई करने का ठेका दिया. पैसों के लालच में छात्र ने इस काम के लिए 12 क्लासमेट्स को इकट्ठा किया और प्रिंसिपल साहब के खेत में धान रोपाई करने के लिए पहुंच गए. काम कराने बाद प्रिंसिपल ने बच्चों को 150-150 रुपए मजदूरी के रूप में भी दी.

किसने की जांच?

इस मामले की जांच हाईस्कूल के प्राचार्य विमल कुमार ने की और मौके पर जाकर लोगों से पूछताछ की. उन्होंने पाया कि प्रधानाचार्य ने सभी बच्चों से सचमुच धान की रोपाई कराई. जांच में सबकुछ सच पाए जाने के बाद प्रिंसिपल के खिलाफ नोटिस भेजी गई.

स्वीकारी धान रोपाई की बात

जब प्रधानाचार्य जी से उनके इस कारनामे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बच्चों को धान रोपाई करने के लिए ठेका दिया था. इसके लिए उन्हें मजदूरी भी दी थी.

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