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“लोहे की सलाखों के बीच गूंजी राखी की गूंज, 167 बहनों ने बांधी भाईचारे की डोर”

सीधी जिले के पड़रा स्थित उपजेल में रक्षाबंधन का पर्व इस बार खास अंदाज में मनाया गया. शनिवार को सुबह से ही जेल परिसर में रंगीन माहौल देखने को मिला, जब 167 बहनें अपने कैदी भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने पहुंचीं.

जेल प्रशासन ने इस अवसर पर विशेष इंतज़ाम किए थे. जेलर कृष्णकुमार तिवारी के निर्देशन में सभी बहनों को हॉल में बैठाकर क्रमवार तरीके से राखी बांधने की व्यवस्था की गई। एक बार में सात- सात बहनों को ही कैदियों से मिलने की अनुमति दी गई, ताकि सुरक्षा और व्यवस्था बनी रहे.

त्योहार के माहौल को और भी खुशनुमा बनाने के लिए जेल कैंटीन की ओर से केला, समोसा और मिठाई की विशेष व्यवस्था की गई। इन सभी सामग्रियों को पहले जेल प्रशासन द्वारा जांचा गया, फिर बहनों को अंदर ले जाने की अनुमति दी गई। बाहरी सामग्री लाने पर पूरी तरह प्रतिबंध था, जिससे सुरक्षा में कोई चूक न हो.

जेलर कृष्णकुमार तिवारी ने बताया, “रक्षाबंधन के पर्व को लेकर हमने पार्किंग से लेकर अंदर तक सभी इंतजामों पर खुद नजर रखी। सभी आने-जाने वालों की पूरी जांच की गई. बहनों के बैठने और राखी बांधने की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से किया गया, ताकि भीड़ न हो। किसी भी बाहरी सामग्री को जेल के अंदर लाने की अनुमति नहीं थी। सभी खाद्य और पूजा सामग्री जेल कैंटीन से ही खरीदी गई और जांच के बाद ही बहनों को दी गई.”

उन्होंने आगे कहा कि यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास और प्रेम का प्रतीक है, और जेल में भी कैदियों को यह महसूस कराना जरूरी है कि वे समाज का हिस्सा हैं। इस अवसर पर कई कैदियों की आंखें नम हो गईं, जब उनकी बहनों ने राखी बांधते हुए उनके अच्छे भविष्य की कामना की.

पड़रा जेल का यह रक्षाबंधन कार्यक्रम न केवल सुरक्षा और अनुशासन का उदाहरण बना, बल्कि मानवता और रिश्तों की गर्माहट का भी संदेश दे गया.

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