रायपुर। श्रीराम वनगमन पथ योजना के तहत विश्व के इकलौते माता कौशल्या मंदिर में भगवान श्रीराम की नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इससे पहले 2021 में स्थापित 51 फीट ऊंची प्रतिमा को हटाकर अब ग्वालियर के सैंड स्टोन से बनी नई प्रतिमा लगाई जाएगी. यह निर्माण कार्य ग्वालियर में जोरशोर से जारी है, और यह प्रतिमा जल्द ही चंदखुरी स्थित मंदिर में स्थापित की जाएगी.
पुरानी प्रतिमा की स्थापना और विवाद
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव में स्थित माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर का नवनिर्माण किया गया था. अक्टूबर 2021 में यहां भगवान श्रीराम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई थी. इस प्रतिमा की स्थापना कांग्रेस शासनकाल में की गई थी, लेकिन इसके बाद भाजपा के नेताओं ने प्रतिमा के मुख और आकृति को लेकर आपत्ति जताई थी.
भाजपा के नेताओं का आरोप था कि इस प्रतिमा को जल्दबाजी में तैयार करके स्थापित किया गया है, जिससे इसकी गुणवत्ता और डिजाइन पर प्रश्नचिह्न लगते हैं. भाजपा के सत्ता में आने के बाद, लगभग नौ महीने पूर्व तत्कालीन धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने घोषणा की थी कि इस प्रतिमा को हटाकर नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी. अब, इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है.
ग्वालियर में बन रही नई प्रतिमा
नई प्रतिमा का निर्माण ग्वालियर के सैंड स्टोन से किया जा रहा है। इस प्रतिमा का निर्माण कलाकार दीपक विश्वकर्मा द्वारा किया जा रहा है, और इसकी ऊंचाई भी 51 फीट होगी। इस प्रतिमा का वजन लगभग दो टन है और इसे 14 पत्थरों को जोड़कर बनाया जा रहा है. ग्वालियर सैंड स्टोन का उपयोग इस प्रतिमा के निर्माण में किया जा रहा है, जो इसे अधिक स्थायित्व और मजबूती प्रदान करेगा.
श्रीराम वनगमन पथ के अन्य स्थल
श्रीराम वनगमन पथ योजना के तहत, चंदखुरी के अलावा शिवरीनारायण, सीतामढ़ी, हरि चौका, राजिम, चंपारण, नगरी सिहावा, और रामगढ़ जैसे स्थानों पर भी भगवान श्रीराम की प्रतिमाएं स्थापित की गई है. इन स्थानों पर 25 फीट ऊंची प्रतिमाएं लगाई गई हैं.रामाराम (सुकमा) और तुरतुरिया (बलौदाबाजार) में अभी निर्माण कार्य जारी है.
क्या है श्रीराम वनगमन पथ योजना
श्रीराम वनगमन पथ योजना छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से जुड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण और विकास करना है. इस योजना के तहत उन स्थानों का सौंदर्यीकरण और विकास किया जा रहा है, जहां परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान समय बिताया था.