शेयर बाजार है ‘लहूलुहान’, क्या बची रहेगी आपकी म्यूचुअल फंड की सेविंग?

भारत का शेयर बाजार आज ‘लहूलुहान’ हो गया. सोमवार को जब बाजार खुला तो सेंसेक्स ने करीब 4,000 अंक का गोता लगाया और 5 मिनट के अंदर ही निवेशकों के 20 लाख करोड़ रुपये के आसपास साफ हो गए. शाम तक बाजार ने रिकवरी की, लेकिन निवेशकों का नुकसान तब भी 14 लाख करोड़ रुपये के आसपास बना रहा. ऐसे में जो आम आदमी छोटी-मोटी मंथली एसआईपी या ऊपरी कमाई को म्यूचुअल फंड में निवेश करके भविष्य को बेहतर बनाने की उम्मीद संजोए हुए है, क्या उसकी कमाई अब भी बची रहेगी?

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शेयर बाजार में अभी जो तबाही मची हुई है, उसके पीछे एक बड़ा कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दुनिया के तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना है. उनकी इस टैरिफ नीति पर अमेरिका के शेयर बाजार ने निगेटिव रिएक्शन दिया. वहीं चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाया है जिससे वहां महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ गई है. साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी की आने की संभावना भी बलवती हुई है. अमेरिका ने भारत पर भी 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है.

क्या बची रहेगी आपकी SIP की सेविंग?

शेयर बाजार के क्रैश के बीच हर आम आदमी का सवाल है कि उसने बीते कई सालों से मार्केट में एसआईपी के माध्यम से जो पैसा लगाया है, क्या वो सेफ बना रहेगा. इसका जवाब मार्केट के बारे में 19 साल का अनुभव रखने वाली प्रो-मोर फिनटेक की निशा सांघवी देती हैं. उनका कहना है कि ये बाजार के करेक्शन का टाइम है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अभी सत्ता में नए आए हैं, तो वह अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं.

उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप पनी पॉलिसी को लेकर जैसे ही स्टेबल होंगे, वैसे ही बाजार में रिकवरी दिखनी शुरू हो जाएगी. ये समय 6 महीने का हो सकता है. अब शेयर बाजार में जितनी तेजी से गिरावट देखने को मिलती है, उतनी ही जल्दी इसमें रिकवरी आती है.

पहले भी ऐसा देखा जा चुका है. 4 जून 2024 को जब देश में लोकसभा चुनाव का परिणाम आया था तो मार्केट में भयानक क्रैश देखने को मिला था. लेकिन ये कुछ ही दिन में रिकवर हो गया था. ऐसे में बाजार की रिकवरी होते ही लोगों का म्यूचुअल फंड का निवेश भी ‘Red Zone’ से ‘Green Zone’ में आ जाएगा.

क्या निकाल लेना चाहिए म्यूचुअल फंड से पैसा?

आम निवेशक होने के नाते बाजार के हालात को देखकर आपके मन में भी ये सवाल आ सकता है. इस बात पर निशा सांघवी कहती हैं कि अगर आप अभी म्यूचुअल फंड से पैसा निकालते भी हैं तो आपके पास दूसरे ऑप्शन क्या हैं. एफडी, बैंक सेविंग या कुछ और. उनमें आपको कितना ही रिटर्न मिलेगा. इससे बेहतर तो ये है कि आप अभी म्यूचुअल फंड में खुद को इंवेस्टेड रखें और मार्केट की रिकवरी का इंतजार करें. निशा सांघवी तो इस समय को ‘स्टॉक मार्केट की सेल’ बताती हैं.

उनका कहना है कि अगर आपका गोल लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट है, तो आपको शेयर बाजार या अपनी एसआईपी को बढ़ा देना चाहिए, क्योंकि इस समय आपकी एसआईपी में आपको सस्ती एनएवी मिलेगी. यानी अगर पहले आपको आपकी एसआईपी की वैल्यू में अगर 10 यूनिट एनएवी मिल रही थी, तो अब ये 12 या 15 हो सकती है. इससे मार्केट रिकवर होने पर आपको बंपर फायदा हो सकता है.

म्यूचुअल फंड और एसआईपी में निवेश

म्यूचुअल फंड में निवेश शेयर बाजार के जोखिमों के अधीन होता है. इसकी वजह म्यूचुअल फंड का सिस्टम है. जब आम आदमी शेयर बाजार की जानकारी के अभाव में सीधे उसमें पैसा नहीं लगा पाता, तो वह म्यूचुअल फंड में निवेश करता है. म्यूचुअल फंड में इकट्ठा हुआ बहुत सारे लोगों का पैसा, उसके मैनेजर्स अलग-अलग कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं. इससे मिलने वाले रिटर्न को सभी पार्टिसिपेंट्स के बीच बांट दिया जाता है. जब कोई व्यक्ति किसी म्यूचुअल फंड में एक बार में पैसा नहीं तो वह हर महीने एक निश्चित राशि जिसे SIP कहते हैं, उसके माध्यम से भी म्यूचुअल फंड में निवेश करता है.

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