Bihar: आर्थिक अपराध इकाई बिहार की साइबर विंग इकाई ने सूचना एवं तकनीकि निगरानी के आधार पर एसआइटी का गठन करते हुए सुपौल के गोसपुर में छापेमारी की और हर्षित कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हर्षित के पास से आठ सिम बाक्स डिवाइस और सैकड़ों की संख्या में प्रमाणित, उपयोग किए गए और अनुपयोगी सिम कार्ड, कई बैंकों के पासबुक, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि बरामद किए गए हैं.
21 वर्षीय हर्षित पूरे रैकेट का मास्टमाइंड है. वह फेसबुक एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से चीनी, वियतमान, कम्बोडिया एवं अन्य देशाें के नागरिकों के संपर्क में आया और उसके टेलिग्राम ग्रुप में शामिल हो गया. इन सरगनाओं ने उसे सिम बाक्स चलाने के लिए पैसे का लालच दिया. हर्षित ने वियतनाम से चार और चीन से चार सिम बाक्स डिवाइस प्राप्त किए. इन सिम बाक्स से एक सामानांतर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था. जिसमें कम्बोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैन के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी एवं फ्राड हेतु काल किए जा रहे थे. आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), बिहार की साइबर विंग एवं दूरसंचार विभाग (भारत सरकार) के सहयोग से एक बड़े साइबर अपराध सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए, सिम बॉक्स के माध्यम से देशव्यापी धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मुख्य सरगना सहित कुल पांच आरोपियों को गिरफ़्तार किया है. सुपौल में हुई छापेमारी में अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय संबंधों वाले एक बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा किया गया है.
सिम बॉक्सों के माध्यम से 10,000 से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जा रहे थे
आर्थिक अपराध इकाई बिहार की साइबर विंग ने प्राप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक के निर्देशन में, पुलिस उप महानिरीक्षक साइबर के मार्गदर्शन में आर्थिक अपराध इकाई की अभियान दल के डीएसपी पंकज कुमार के नेतृत्व में एक एसआइटी का गठन किया गया. उक्त एसआइटी ने रविवार सुबह सुपौल के गोसपुर से हर्षित कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हर्षित के पास से 8 सिम बॉक्स डिवाइस और सैकड़ों की संख्या में प्रमाणित, उपयोग किए गए और अनुपयोगी सिम कार्ड, कई बैंकों के पासबुक, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि बरामद किए गए हैं. जांच में सामने आया है कि 21 वर्षीय हर्षित कुमार इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है. वह फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से चीनी, वियतमान, कम्बोडिया एवं अन्य देशाें के नागरिकों के संपर्क में आया और उसके टेलिग्राम ग्रुप में शामिल हो गया. इन सरगनाओं ने उसे सिम बाक्स चलाने के लिए पैसे का लालच दिया. हर्षित ने वियतनाम से चार और चीन से चार सिम बाक्स डिवाइस प्राप्त किए. इन सिम बाक्स के माध्यम से इस गिरोह के द्वारा एक सामानान्तर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था. जिसमें कम्बोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैन के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी एवं फ्राड हेतु प्रारंभ हो रही भीओआइपी काल को लोकल जीएसएम काल्स में अवैध रूप से रुपान्तरण कर देश के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों से साइबर धोखाधड़ी की जा रही थी. प्रारंभिक जांच के अनुसार, इन सिम बॉक्सों के माध्यम से 10,000 से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जा रहे थे, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था.
इससे दूर संचार विभाग भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था. SIM बॉक्स चलाने के लिए बड़ी संख्या में अवैध सिम कार्ड की आवश्यकता होती थी. हर्षित ने इसके लिए पाकुड़, झारखंड के सुमित साह नामक अपराधी से संपर्क किया. सुमित साह मार्च महीने से हर्षित को लगभग 1000 सिम कार्ड की आपूर्ति कर चुका है. सुमित साह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था और सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे.