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ड्रैगन के सबसे बुरे दिनों की कहानी… कभी चीन था मंगोलों का गुलाम, फिर कैसे पलट गया पूरा खेल

चीन यानी एक ऐसा देश, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कभी भी पूरी तरह से किसी का गुलाम नहीं रहा. हालांकि, चंगेज खां एक ऐसा लड़ाका था, जिसने चीन के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया था और वहां मंगोलियाई शासन स्थापित किया था. हालांकि, बाद में पासा पलट गया और चीन ने मंगोलिया पर कब्जा कर लिया. इसके बाद कई बार मंगोलिया ने अपनी आजादी की घोषणा की पर सफलता मिली 11 जुलाई 1921 को. इस घटना की वर्षगांठ पर आइए जान लेते हैं पूरा किस्सा.

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चंगेज खान को इतिहास का महान मिलिट्री जीनियस कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. पर्शिया और पूरे सेंट्रल एशिया पर अपना सिक्का जमाने वाले मंगोलों से चीन भी नहीं बच पाया था. चीन पर कब्जे के लिए मंगोल शासन ने साल 1205 से 1279 के बीच चीन पर शासन कर रहे राजवंशों के खिलाफ कई बार सैन्य अभियान चलाया. चंगेज खान की अगुवाई में मंगोलों ने साल 1205 और 1207 में पश्चिमी शिया पर छोटे-छोटे हमले शुरू किए.

कुबलई खान ने स्थापित किया शासन

फिर मंगोलिया में मंगू खान वास्तव में ग्रेट खान के रूप में सामने आया और साल 1252 में कुबलई खान को चीन का गवर्नर नियुक्त किया था. साल 1279 में मंगोल शासक कुबलई खान ने औपचारिक तौर पर चीन में युआन शासन की स्थापना की और पहली बार पूरे चीन को एक शासन के अधीन एकीकृत किया. यह भी तभी हुआ कि पहली बार तिब्बत चीन के साथ एकीकृत रूप से सामने आया.

चीन में बदली सत्ता

चीन में मंगोलों के खिलाफ विद्रोह भी पनपता रहा और साल 1369 में शूयुआन चैंग ने मंगोलों की राजधानी रहे बीजिंग पर कब्जा कर लिया और खुद को शासक घोषित कर दिया. समय के साथ इतिहास बदला और चीन के शासक इनर मंगोलिया तक अपने शासन का विस्तार करते चले गए.

यह साल 1906 की बात है, जब चीन के माचू शासक ने इनर मंगोलिया से आउटर मंगोलिया की ओर अपने कदम बढ़ा दिए. मंगोलिया में चीन के लोगों को बसने और वहां की महिलाओं से शादी करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसका उद्देश्य था कि मंगोलिया पर चीन की जीवनशैली और संस्कृति को थोपा जा सके. मंगोलियाई लोगों ने इसका विरोध किया और चीन में माचू राजवंश का शासन समाप्त हो गया.

मंगोलिया की आजादी को चीन-रूस ने नहीं दी मान्यता

इसके बाद 16 दिसंबर 1911 को मंगोलिया के लोगों ने खुद को आजाद घोषित कर दिया और राष्ट्रीय धार्मिक नेता जैवजांडाम्बा-VIII को बॉग्द खान (Bogd Khan) के रूप में चर्च और राज्य का मुखिया घोषित कर दिया. हालांकि, मंगोलिया पर नजरें गड़ाए चीन और रूस मंगोलिया की आजादी की घोषणा से सहमत नहीं हुए और चीन के आधिपत्य में साल 1915 में आजाद मंगोलिया को स्वायत्तशासी स्टेटस का दर्जा दिया. इसके तहत मंगोलिया को अपने आंतरिक मामलों पर फैसले लेने का अधिकार था पर विदेश मामलों और व्यापारिक संबंधों पर फैसला नहीं कर सकता था. इस तरह से मंगोलिया चीन और रूस के लिए बीच एक बफर स्टेट बन गया.

रूसी क्रांति के चलते बदली स्थिति

हालांकि, इसी दौर में रूसी क्रांति के चलते वह एक कम्युनिस्ट स्टेट के रूप में उभर कर सामने आया पर लेनिन के सत्ता संभालने के बावजूद मंगोलिया की धरती पर कम्युनिस्टों और लॉयलिस्ट के बीच घमासान चलता रहा. इसको देखते हुए साल 1919 में चीन ने अपने जनरल को मंगोलिया भेजकर सभी विदेशों फोर्सेज को चलता कर दिया और फरवरी 1920 में बॉग्द खान की सरकार को भंग करते हुए मंगोलिया को चीनी संरक्षण में ले लिया.

इसको देखते हुए मंगोलिया के लोगों ने चीन के खिलाफ मंगोलियन पीपुल्स पार्टी की स्थापना की और बॉग्द खान और मंगोलियाई प्रिंसेज की मदद से चीन के खिलाफ विद्रोह जारी रखा. इसके लिए बाकायदा एक प्रतिनिधिमंडल रूस गया और लेनिन से मदद की गुहार लगाई. चीन की हरकतों को देखते हुए लेनिन भी मंगोलिया के साथ खड़े हो गए और सशस्त्र विद्रोह के लिए हथियार मुहैया करा दिए.

फरवरी 1921 में चीन के खिलाफ मंगोलिया के लोगों ने हथियार उठाए और गर्मी आते-आते बड़ी संख्या में मंगोलियाई इसमें शामिल हुए और चीनियों को मंगोलिया के बाहर खदेड़ दिया. इसके बाद मंगोलिया ने 11 जुलाई 1921 को एक बार फिर से अपनी आजादी की घोषणा कर दी और बॉग्द खान ने फिर से आंशिक राजशाही वाली सत्ता संभाल ली. बॉग्द खान की मृत्यु के बाद मंगोलियन पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना हुई.

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