उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर ऐसा बवाल हुआ कि लखनऊ तक हड़कंप मच गया. आनन-फानन में आला अधिकारियों को मौके पर रवाना किया गया. खुद डीजीपी हालातों पर नजर बनाए हुए हैं. रविवार दोपहर बाद जब माहौल शांत हुआ तो पुलिस ने फ्लैग मार्च शुरू किया. शहर में पीएसी के साथ आरआरएफ और आरएएफ की कंपनियां भी लगाई गईं. हालांकि, तब तक तोड़फोड़-आगजनी, पथराव और गोलीबारी में चार लोगों की जान जा चुकी थी. फिलहाल, इलाके में जबरदस्त तनाव है. इंटरनेट के साथ स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं.
आपको बता दें कि बीते दिन संभल शहर की शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान बवाल हुआ था. उपद्रवियों ने जामा मस्जिद के पीछे पुलिस पर जमकर पथराव किया, सड़क किनारे खड़े वाहनों में आग लगा दी, जिससे कार व बाइकें जलकर खाक हो गईं. आलम ये था कि सड़कों पर ईंट-पत्थरों व चप्पलों के ढेर लग गए. बाद में इनको हटाने के लिए नगर पालिका की टीमें लगानी पड़ीं. पालिका के कर्मचारियों ने कई ट्रैक्टरों में इन ईंट-पत्थरों व चप्पलों को भरकर रास्ता साफ करवाया. साथ जेसीबी की मदद से जले हुए वाहनों को सड़क से हटवाया.
पुलिस के मुताबिक, उपद्रवियों की भीड़ में मौजूद लोगों ने नाबालिगों को आगे कर रखा था. सभी के हाथ में ईंट-पत्थर थे. इन पत्थरबाजों ने अपने चेहरे ढक रखे थे. करीब डेढ़ घंटे तक चले पथराव में गलियां ईंट-पत्थरों से पट गईं जिसके चलते लोगों का चलना मुश्किल हो गया था. पुलिस ने किसी तरह आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा. वहीं, शाम होने तक सख्ती इतनी बढ़ा दी गई कि शहर में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल हो गया.
फिलहाल, संभल जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू कर दी है और बाहरी लोगों के प्रवेश पर 30 नवंबर तक रोक लगा दी है. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने रविवार देर रात बताया कि यह आदेश भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है. तत्काल प्रभाव से लागू हुए आदेश में कहा गया है- “सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जिले की सीमा में प्रवेश नहीं करेंगे.” आदेश का उल्लंघन करने पर बीएनएस की धारा 223 के तहत एक्शन लिया जाएगा.
चार लोगों की मौत, पुलिस वाले भी हुए घायल
डीएम, एसपी के अलावा मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह और डीआईजी मुनिराज जी ने फोर्स के साथ मौके का मुआयना किया. इस दौरान मंडलायुक्त ने कहा- उपद्रवियों ने गोलियां चलाईं… पुलिस अधीक्षक के पीआरओ के पैर में गोली लगी, सर्किल अधिकारी को छर्रे लगे और हिंसा में 15 से 20 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. एक कांस्टेबल के सिर में भी गंभीर चोट आई, जबकि डिप्टी कलेक्टर के पैर में फ्रैक्चर हो गया. वहीं, नईम, बिलाल, नोमान और एक अन्य शख्स की मौत हुई है. दो की मौत देसी पिस्तौल से गोली लगने से हुई.
वहीं, बवाल शांत होने के बाद दो महिलाओं सहित 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. घटना में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं 24 घंटे के लिए निलंबित कर दी गईं और जिला प्रशासन ने सोमवार को सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है.
मस्जिद के सर्वे को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई थी
गौरतलब हो कि 19 नवंबर से ही संभल में तनाव की स्थिति बनी हुई थी, जब कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का पहली बार सर्वेक्षण किया गया था. याचिका में दावा किया गया था कि इस स्थल पर हरिहर मंदिर था. रविवार को सुबह-सुबह समस्या तब शुरू हुई, जब सर्वेक्षण दल के काम शुरू करने के बाद मस्जिद के पास लोगों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हो गया और नारे लगाने लगा.
जिला अधिकारियों ने कहा कि सर्वेक्षण मंगलवार को पूरा नहीं हो सका और दोपहर की नमाज में व्यवधान से बचने के लिए रविवार को इसकी योजना बनाई गई.
उधर ,इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) की अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए “एडवोकेट कमीशन” के गठन का आदेश दिया है. अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वेक्षण करने के बाद रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए.
हिंदू पक्ष के स्थानीय वकील गोपाल शर्मा ने पहले दावा किया था कि इस स्थान पर पहले मंदिर था जिसे मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था. जबकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये 1991 के वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है. मस्जिद नहीं बदली जा सकती. याचिका डालकर माहौल खराब किया जा रहा है.
मुस्लिम पक्ष ने कही ये बात
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने संभल हिंसा पर नाराजगी जाहिर की और दुख जताया. मदनीने कहा- जमीयत किसी भी दल और उपद्रवी की हिंसा का समर्थन नहीं करता. लेकिन पुलिस की बर्बर कार्रवाई ना सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि भेदभावपूर्ण भी है, जिससे निर्दोष लोगों की जान चली गई.
इस बीच मुरादाबाद के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा- हम कोर्ट के सर्वे कराने के फैसले से सहमत नहीं हैं. प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 यह कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है. सर्वे का आदेश देना एक्ट का उल्लंघन है. सर्वे कराने की जरूरत ही क्या पड़ी थी. जामा मस्जिद 500 साल पुरानी है.