खगोलशास्त्रियों ने पृथ्वी जैसा एक ग्रह खोजा है जो इस बात की एक भयावह तस्वीर दिखाता है कि अरबों साल बाद जीवन नष्ट होने के बाद पृथ्वी कैसे दिखेगी? माना जा रहा है कि यह नया खोजा गया ग्रह शायद कभी रहने योग्य था और एक तारे की परिक्रमा करता था जिस तरह से पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है.
खगोलविदों का मानना है कि जिस तारे की परिक्रमा यह ग्रह करता था उसकी अरबों साल पहले हिंसक मौत हुई, जिसके कारण यह ग्रह अंतरिक्ष में और दूर चला गया. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि सूर्य भी लगभग एक अरब वर्षों में अपनी मृत्यु प्रक्रिया शुरू कर देगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि जब यह समय आएगा, तो हमारे ग्रह का भाग्य भी इस नए ग्रह के समान हो सकता है.
2020 में हुई थी पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज
नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित के शोध के मुताबिक यह नया ग्रह और उसका मेजबान तारा हमसे लगभग 4,000 प्रकाश वर्ष दूर मिल्की-वे आकाशगंगा के सेंट्रल बल्ज के पास स्थित है, जो लगभग 23 क्वाड्रिलियन मील के बराबर है.
इसे पहली बार साल 2020 में देखा गया था, लेकिन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के खगोलविदों की एक टीम ने करीब 3 साल बाद हवाई में केक 10-मीटर दूरबीन का इस्तेमाल कर इस ग्रह का दोबारा अध्ययन किया. इस ग्रह की तस्वीर ने वैज्ञानिकों की उत्सुकता और जिज्ञासा को बढ़ा दिया है.
इस शोध से पता चलता है कि पृथ्वी के आकार का यह ग्रह एक सफेद बौने तारे की परिक्रमा करता है, या एक ऐसे घने, गर्म केंद्र वाले तारे का जो अब मर चुका है. अनुमान लगाया जा रहा है कि तारे के मरने से पहले, यह ग्रह प्रणाली सूर्य की परिक्रमा करने वाली पृथ्वी की तरह दिख सकती थी. खगोलविदों का मानना है कि इसकी पूरी संभावना है कि अरबों साल पहले इस ग्रह पर जीवन रहा हो.
माइक्रोलेंसिंग इवेंट के दौरान हुई थी खोज
खगोलविदों ने पहली बार इस ग्रह को तब देखा जब यह 2020 में एक अधिक दूर के तारे के सामने से गुजरा, जिससे इसका प्रकाश 1,000 गुना बढ़ गया. इसे ‘माइक्रोलेंसिंग इवेंट’ कहा जाता है. जब कोई ग्रहीय सिस्टम किसी तारे के सामने से गुजरता है, तो सिस्टम का गुरुत्वाकर्षण, तारे से आने वाले प्रकाश को केंद्रित करने और बढ़ाने के लिए लेंस की तरह काम करता है.
कोरिया माइक्रोलेंसिंग टेलीस्कोप नेटवर्क के शोधकर्ताओं ने इस घटना का विश्लेषण किया और पाया कि पृथ्वी के आकार के ग्रह और तारे के बीच की दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी के लगभग बराबर है. लेकिन टीम यह तय नहीं कर पाई कि यह ग्रह किस तरह के तारे की परिक्रमा कर रहे थे.
अरबों साल बाद खत्म होगा सूर्य का जीवन
वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे सूर्य का अंत भी इसी मृत्यु प्रक्रिया से गुजरेगा लेकिन तब तक हम इसे देखने के लिए जीवित नहीं होंगे. क्योंकि कई अध्ययनों से पता चलता है कि सूर्य के जीवन काल में अभी एक अरब साल बाकी हैं.
लेकिन जब यह प्रक्रिया शुरू होगी तो क्या होगा? इसे लेकर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूर्य की मौत से पृथ्वी के महासागर भाप बनकर उड़ जाएंगे, यानी पृथ्वी पर पानी का नामो-निशान नहीं बचेगा और पृथ्वी की ऑर्बिट का रेडियस दोगुना हो जाएगा. लेकिन ऐसा तभी होगा जब सूर्य का रौद्र विशालकाय रूप पहले हमारे ग्रह को पूरी तरह से निगल न ले.
पृथ्वी को निगल जाएगा सूर्य?
वैज्ञानिकों के मुताबिक जब सूर्य की जीवनलीला खत्म हो रही रही होगी तो यह लाल विशालकाय रूप धारण कर लेगा और एक गुब्बारे की तरह फुल जाएगा. माना जा रहा है अपने अंतिम चरण में सूर्य, बुध और शुक्र गृहों को निगल जाएगा और उन्हें जला देगा. साथ ही जीवित बचे ग्रह जैसे कि पृथ्वी, शायद – अपनी आॉर्बिट को चौड़ा कर लेंगी. इससे पृथ्वी के बचने की थोड़ी संभावना होगी.
हालांकि इसकी पूरी संभावना है कि जब सूर्य की मौत होगी तो वह बुध और शुक्र के साथ पृथ्वी को भी निगल जाए. यानी हमारी पृथ्वी, जिस तारे की परिक्रमा कर रही है, वही उसके विनाश का कारण होगा.
एक अरब साल बचा पृथ्वी का जीवन
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो के मुख्य लेखक केमिंग झांग ने एक बयान में कहा है कि हम अभी इस बात पर आम सहमति नहीं बना पाए हैं कि पृथ्वी, सूर्य के निगले जाने से बच सकती है या नहीं.हालांकि उनका कहना है कि किसी भी स्थिति में पृथ्वी केवल एक अरब साल तक ही रहने योग्य होगी. क्योंकि जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस प्रभाव की वजह से पृथ्वी के महासागर भाप बनकर उड़ जाएंगे.
अब से अरबों साल बाद जब सूर्य अपनी मृत्यु के लिए अंतिम चरण में प्रवेश करेगा, अगर तब दौरान पृथ्वी, सूर्य के लाल विशालकाय चरण से बचने में कामयाब रही तो यह सूर्य से करीब दोगुनी दूरी पर चली जाएगी. यही वजह है कि खगोलविद नए खोजे गए ग्रह की मौजूदा तस्वीर को पृथ्वी के भविष्य के तौर पर देख रहे हैं.