भारत के तेल रिफाइनरी कंपनियों ने रूसी तेल को लेकर अमेरिका की आलोचनाओं का विरोध किया है. भारतीय तेल रिफाइनरों ने स्पष्ट किया है कि रूस से उनकी कच्चे तेल की खरीद प्रतिबंध नियमों का उल्लंघन नहीं करती है और पूरी तरह से बैध है.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा प्रतिबंध व्यवस्था के तहत भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद वैध है, बशर्तें कि वह उचित अनुपालन के साथ सीमा के बराबर या उससे कम पर की जाए. उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के दिशानिर्देश तीसरे देशों से सीमा के बराबर या उससे कम पर खरीद की अनुमति देते हैं, फिर ये पाखंड क्यों?
एक भी भारतीय रिफाइनरी कंपनी ने लिमिट से ज्यादा तेल नहीं खरीदे
उद्योग सूत्रों ने बताया कि मूल्य सीमा रूसी कच्चे तेल पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध नहीं लगाती, बल्कि यह केवल रिकॉर्ड रखने की आवश्यकताओं के साथ सीमा से ऊपर शिपिंग, बीमा और फाइनेंस को सीमित करती है. इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने अब अगले साल से रूसी कच्चे तेल से बने रिफाइनरी ईंधन के आयात पर प्रतिबंध को मंजूरी दे दी है, भले ही वह तीसरे देशों में रिफाइन किया गया हो.
आजतक किसी भी भारतीय रिफाइनरी ने प्राइस लिमिट का उल्लंघन नहीं किया है. सिर्फ एक कंपनी नायरा एनर्जी, को इस वर्ष 18 जुलाई को यूरोपीय संघ की रूस प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया था, क्योंकि इसका स्वामित्व रूस की रोसनेफ्ट के पास है.
अमेरिका का पाखंड
सूत्रों ने बताया कि इससे पहले अमेरिका ने कीमतों को स्थिर करने के लिए इस तरह की खरीद पर भारत को सपोर्ट किया था और यूरोपीय यूनियन की नई कार्रवाई मुख्य तौर से खुद के बाजार तक पहुंच को सख्त करती है, न कि ग्लोबल प्रतिबंध लगाती है.
अमेरिका की 2024 की एक क्लिप वायरल हो रही है, जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी कह रहे हैं कि वाशिंगटन चाहता था कि कोई देश रूसी तेल एक तय कीमत पर खरीदे, ताकि तेल की कीमतों में उछाल न आए. अब अमेरिका इसका विरोध कर रहा है.
ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने भारत पर ‘मुनाफाखोरी’ जैसे आरोप लगाए. वहीं अन्य आलोचकों, जिनमें ट्रंप की व्यापार नीतियों के प्रमुख पीटर नवारो भी शामिल हैं, ने आरोप लगाया है कि भारत ‘क्रेमलिन के लिए कपड़े धोने की मशीन’ के रूप में काम कर रहा है और इसकी खरीद से रूस को यूक्रेन में युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद मिल रही है.विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिया करारा जवाब
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन सभी आरोपों का सार्वजनिक रूप से जवाब देते हुए कहा है कि अगर अमेरिकी या यूरोपीय खरीदारों को भारतीय कंपनियों द्वारा रिफाइन ईंधन से कोई समस्या है, तो उन्हें इसे नहीं खरीदना चाहिए.