लंबे समय से बंगले का इंतजार कर रहे आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सरकारी बंगला अलॉट कर दिया गया है. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और सिविल लाइंस स्थित सरकारी बंगले को छोड़ने के करीब एक साल बाद, केजरीवाल को आखिरकार केंद्र सरकार की ओर से लोधी एस्टेट में टाइप-VII बंगला आवंटित कर दिया गया है.
राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक होने की वजह से केजरीवाल दिल्ली में सरकार द्वारा आवंटित सरकारी आवास के हकदार हैं. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Union Housing and Urban Affairs Ministry) के संपदा निदेशालय की ओर से आवंटन में देरी को देखते हुए आम आदमी पार्टी के नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. कोर्ट के समक्ष सरकार ने 25 सितंबर को यह जानकारी दी थी कि केजरीवाल को अगले 10 दिनों के अंदर बंगला आवंटित कर दिया जाएगा.
एक साल से नहीं मिला था सरकारी बंगला
सूत्रों के हवाले से खबर है कि अब सरकार ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल को 95, लोधी एस्टेट आवंटित कर दिया है. यह बंगला टाइप-VII श्रेणी का होने की वजह से सरकारी आवास की दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी है.
दिल्ली में पिछले साल चुनाव से कुछ समय पहले सितंबर में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, केजरीवाल ने कुछ दिन बाद 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगला खाली कर दिया था. यह वह बंगला है जो उनके मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल के अधिकांश समय तक उनका आधिकारिक निवास रहा था. पद छोड़ने के बाद से वह आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल को आवंटित सरकारी बंगले में रह रहे थे.
केजरीवाल के बंगले को कहा गया ‘शीश महल’
6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगला दिल्ली चुनाव के दौरान खूब सुर्खियों में रहा था. भारतीय जनता पार्टी ने इसी बंगले के रिनोवेशन के दौरान कथित अनियमितताओं की वजह से जमकर निशाना साधा था और इसे “शीश महल” करार दिया था.
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के संपदा निदेशालय की जुलाई 2014 की पॉलिसी कहती है कि राष्ट्रीय दलों के अध्यक्ष या संयोजक सरकारी आवास के लिए पात्र हैं, लेकिन इसमें आवास के टाइप का जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, केजरीवाल के वकील ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि ऐतिहासिक रूप से टाइप-VII बंगले राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्षों को आवंटित किए जाते रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने तर्क दिया था, “आज, वे मुझे टाइप-VI में नहीं भेज सकते. क्या यह सही होगा? मुझे जानकारी चाहिए.मैं किसी का पसंदीदा व्यक्ति नहीं हूं, मैं आपके लिए बीएसपी नहीं हूं. लेकिन आपको अपनी पॉलिसी को लेकर निष्पक्ष रहना चाहिए.”
सीनियर एडवोकेट ने अपने तर्क में बीएसपी प्रमुख मायावती का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें आवास के रूप में 35, लोधी एस्टेट आवंटित किया गया था. मायावती ने इस साल मई में, बंगला आवंटित होने के करीब एक साल बाद, 35, लोधी एस्टेट छोड़ दिया. इससे पहले, उन्हें 29, लोधी एस्टेट आधिकारिक आवास के रूप में आवंटित किया गया था, लेकिन फरवरी 2024 में सरकार ने आवंटन में बदलाव कर दिया और बीएसपी ने इसे अपना ऑफिस बना लिया.