मध्य प्रदेश के उज्जैन का महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय पहला ऐसा होगा, जहां के सभी दस्तावेजों से ‘इंडिया’ शब्द को हटाकर ‘भारत’ शब्द किया जाएगा. यह निर्णय विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया. इसके बाद विश्वविद्यालय के आधिकारिक दस्तावेजों पर अब ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ शब्द का उपयोग किया जाएगा. इसके लिए सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से ‘इंडिया’ शब्द को हटाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है.
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक कुलगुरु प्रो. विजय कुमार जे.सी. की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी. बैठक की शुरुआत में दीक्षांत समारोह की तैयारियों पर चर्चा की गई. इसके बाद बैठक में कार्यपरिषद सदस्य गौरव धाकड़ ने विश्वविद्यालय में ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ शब्द का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी सदस्यों ने सहमति से पारित कर दिया.
क्यों लिया गया ऐसा फैसला?
कार्यपरिषद सदस्य गौरव धाकड़ ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री उन नामों को प्रचलन में लाने का प्रयास कर रहे हैं, जो देश की संस्कृति और पहचान से जुड़े हुए हैं. इसी दिशा में विश्वविद्यालय में भी ‘भारत’ शब्द को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट, प्रशासनिक दस्तावेजों, विद्यार्थियों की कॉपियों, कैलेंडर आदि में अब ‘भारत’ शब्द का ही प्रयोग किया जाएगा. बैठक में कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी, कार्यपरिषद सदस्य विश्वास व्यास, डॉ. केशर सिंह चौहान, हरीश व्यास, सुमिना लिग्गा, गीतांजलि चौरसिया और उपस्थित थे.
इनके प्रस्ताव पर हुआ निर्णय
ज्यादा से ज्यादा जनमानस को संस्कृत से जोड़ने के लिए कार्यपरिषद के सदस्य गौरव धाकड़ के प्रस्ताव को सभी ने सराहा. उसके बाद उज्जैन के नागरिकों को संस्कृत से जोड़ने का निर्णय भी लिया गया है. इसके तहत अब संस्कृत सीखने के इच्छुक लोगों को विश्वविद्यालय से दक्ष होने वाले विद्यार्थियों को शिक्षक के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा. संस्कृत विश्वविद्यालय ने इसके लिए वेबसाइट पर ‘रिसोर्स पूल सिस्टम’ विकसित किया है, जिसमें योग्य शिक्षकों की जानकारी उपलब्ध होगी.
इस विषय मे काफी समय से चर्चा चल रही है. कुछ दिनों पहले आरएसएस ने भारत बनाम इंडिया की बहस छेड़ी थी, जिसमें आरएसएस के पदाधिकारियों ने कहा, अपने देश को इंडिया नहीं, भारत कहना चाहिए. इसे ठीक करना पड़ेगा. देश को दो नामों से क्यों जाना जा रहा है? इसे ठीक करना ही पड़ेगा. भारत है, तो भारत ही कहो. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया है और इतिहास की अच्छी बातों को दबाया गया है.