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‘तीसरे विश्वयुद्ध में दुनिया में छा जाएगा घना अंधेरा…’ ‘जिंदा नास्त्रेदमस’ की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

मिडिल ईस्ट में इस वक्त जारी जंग और तनाव पर पूरी दुनिया की नजर है. हर दिन ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो लंबे संघर्ष और वर्ल्ड वॉर 3 की आशंका को हवा दे रही हैं. इस माहौल में कई एस्ट्रोलॉजर अपनी भविष्यवाणियों के साथ सामने आ रहे हैं, और इनमें सबसे चर्चित हैं ब्राजील के भविष्यवक्ता अथोस सलोम.

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‘लिविंग नास्त्रेदमस’ की चेतावनी, तीसरे विश्व युद्ध की संभावना

अथोस सलोम, जिन्हें ‘लिविंग नास्त्रेदमस’ कहा जाता है, उनके मुताबिक, तीसरा विश्व युद्ध इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) तकनीक के बढ़ते के इस्तेमाल की वजह से हो सकता है. डेली मेल को दिये इंटरव्यू में उन्होंने बताया प्रमुख राष्ट्र तकनीकी व्यवधान पैदा करने की क्षमता रखते हैं, जिससे यह जंग वास्तविकता में बदल सकती है.

सोशल मीडिया पर उनके प्रेडिक्शन को संजीदगी से लिया जा रहा है. इसकी वजह उनकी पिछली भविष्यवाणियां हैं, जो ज्यादातर सही साबित हुई हैं, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल आउटेज, कोरोनावायरस महामारी और एलन मस्क के ट्विटर अधिग्रहण जैसी घटनाएं शामिल थीं.

ईरान और इजरायल के बीच AI का बढ़ता इस्तेमाल

सलोम का मानना है कि आने वाले समय में ईरान और इज़राइल, दोनों देश अपने सैन्य रणनीतियों में आर्टिफिशेयल इंटिलेजेंस का ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही ये भी चेतावनी दी कि AI शांति बनाए रखने के लिए इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन अगर इसका गलत इस्तेमाल हुआ, तो यह संघर्ष को और बढ़ा सकता है. यह स्थिति दुनिया को एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर सकती है.

EMP का बढ़ता खतरा, ‘तीन दिनों का अंधकार’?

सलोम की मानें तो EMP तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल, खासकर अमेरिका, रूस, चीन, और उत्तर कोरिया जैसे देशों में, एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है. सलोम के अनुसार, EMP का इस्तेमाल तीसरे विश्व युद्ध में किया जा सकता है, जिससे ‘तीन दिनों का अंधकार’ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. इससे दुनिया भर के इलेक्ट्रॉनिक ढांचे ठप हो सकते हैं, जिससे समाज ढह सकता है और देशों में अराजकता फैल सकती है.

क्या है EMP

EMP एक ऐसा उपकरण है जो सूचना प्रणालियों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह मानवों या इमारतों को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निष्क्रिय कर सकता है. यह आमतौर पर ऊंचाई पर हुए विस्फोटों से ट्रिगर होता है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क में आकर इलेक्ट्रॉनिक ढांचों को बाधित कर सकता है. कोल्ड वॉर के दौरान, अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने इस तकनीक को दुश्मनों के बुनियादी ढांचे को निष्क्रिय करने के साधन के रूप में देखा था.

अमेरिका और चीन के बीच टकराव की संभावना

सलोम ने डेली मेल से एक एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर, जहां क्षेत्रीय और सैन्य तनाव पहले से ही मौजूद हैं, एक अस्थिर क्षेत्र बन सकता है. इसके अलावा, एक बड़े साइबर हमले से किसी देश की सुरक्षा ढांचे पर हमला किया जा सकता है, जो युद्ध की वजह बन सकता है.

रूस और चीन जैसे देशों की क्या भूमिका होगी?

सलोम ने यह भी चेतावनी दी है कि चीन और रूस के बीच बढ़ती साझेदारी एक बड़े वैश्विक संघर्ष को जन्म दे सकती है. उन्होंने कहा एशिया, जहां तेज आर्थिक विकास और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक महत्व है, एक अस्थिर क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है. यह क्षेत्र एक अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को भड़काने में सक्षम हो सकता है

अथोस सलोम की इन भविष्यवाणियों ने दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध को लेकर चर्चा को और तेज कर दिया है अब यह देखना होगा कि आगे क्या होता है.

 

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