तब तो हर दोषी जेल में मरेगा… कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुखदेव यादव को रिहा करने का आदेश, जानें पूरा मामला

नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी सुखदेव यादव को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुखदेव ने इस साल मार्च में 20 साल की सजा पूरी कर ली है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने आगे कहा कि सजा समीक्षा बोर्ड न्यायिक प्राधिकारी के आदेश को कैसे दबा सकता है? अगर यही रवैया रहा तो हर दोषी जेल में ही मरेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या यह कार्यपालिका का आचरण है? इससे पहले सजा समीक्षा बोर्ड ने सुखदेव यादव के आचरण का हवाला देते हुए सुखदेव की सजा माफी की याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने एसआरबी की कार्यवाही पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि वह अदालत द्वारा पारित आदेश पर कैसे रोक लगा सकता है.

बता दें कि सजा समीक्षा बोर्ड (Sentence Review Board – SRB) ने सुखदेव यादव की रिहाई की अर्जी ठुकरा दी थी. बोर्ड ने कहा था कि जेल में उनका आचरण संतोषजनक नहीं था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई और पूछा कि सजा समीक्षा बोर्ड अदालत के आदेश पर कैसे बैठ सकता है? जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सजा समीक्षा बोर्ड न्यायिक आदेश के ऊपर कैसे बैठ सकता है?

कोर्ट ने कहा, अगर यही रवैया रहेगा तो हर दोषी जेल में ही मर जाएगा. कोर्ट ने SRB के रुख को अनुचित ठहराते हुए सुखदेव यादव की तत्काल रिहाई का आदेश दिया. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, सजा पुनरीक्षण बोर्ड कोर्ट के आदेश की अनदेखी कैसे कर सकता है? अगर ऐसा होगा तो हर जेल में बंद आदमी वहीं मर जाएगा.

दिल्ली सरकार सजा की गलत व्याख्या कर रही

दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक ने दलील दी कि 20 साल की सजा के बाद स्वतः रिहायी नहीं हो सकती. इसके साथ ही आजीवन कारावास का मतलब है कि शेष प्राकृतिक जीवन तक जेल में रहना. सुखदेव यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि उनके मुवक्किल ने 9 मार्च 2025 को सजा पूरी कर ली है.

उन्होंने सुखदेव यादव को 9 मार्च से आगे हिरासत में रखने के किसी भी वैध औचित्य से इनकार किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार सजा की गलत व्याख्या कर रही है. बता दें कि यादव की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी. इसमें कोर्ट ने उसे 3 सप्ताह के लिए फरलो पर रिहा करने की याचिका खारिज कर दी थी.

दरअसल, 3 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने कटारा के सनसनीखेज अपहरण और हत्या में भूमिका के लिए विकास यादव और उसके रिश्ते के भाई विशाल यादव को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी. इसमें सह-दोषी सुखदेव यादव को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.

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