अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए कहा है कि यदि नौ राष्ट्रों (ब्रिक्स देश) ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का प्रयास किया तो वे उन पर 100% टैरिफ लगा देंगे. उनकी यह धमकी ब्रिक्स गंठबंधन में शामिल देशों के लिए हैं जिसमें जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
तुर्की, अज़रबैजान और मलेशिया ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है तथा कई अन्य देशों ने भी इसमें शामिल होने की इच्छा रखते हैं. हालांकि अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार में अब तक सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा है और अतीत में आई चुनौतियों के बावजूद अपनी श्रेष्ठता बनाए रखने में सफल रही है.
ट्रंप की धमकी भारत जैसे विकासशील देश के लिए भी चिंताजनक है क्योंकि भारत अमेरिका से ना केवल सामान आयात करता है बल्कि बड़ी मात्रा में कई सामान निर्यात करता है. आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. इस दौरान भारत ने अमेरिका को 41.6 अरब डॉलर का निर्यात किया था.
इस प्रस्ताव से भड़के हैं ट्रंप
ब्रिक्स में शामिल सदस्यों और अन्य विकासशील देशों का कहना है कि वे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अमेरिका के प्रभुत्व से तंग आ चुके हैं. ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता को कम करते हुए अपने आर्थिक हितों को बेहतर तरीके से साधना चाहते हैं.
अगस्त 2023 में जब दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन आयोजित किया गया था तो तब ब्रिक्स देशों ने अपनी करेंसी लाने की चर्चा की और ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापार औऱ निवेश के लिए कॉमन करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा. इसी प्रस्ताव से ट्रंप भड़के हुए हैं.
तो गुडबॉय के लिए रहिए तैयार: ट्रंप
The idea that the BRICS Countries are trying to move away from the Dollar while we stand by and watch is OVER. We require a commitment from these Countries that they will neither create a new BRICS Currency, nor back any other Currency to replace the mighty U.S. Dollar or, they…
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 30, 2024
ट्रम्प ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं और हम खड़े होकर देखते हैं, ऐसा आइडिया अब खत्म हो चुका है. हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी का समर्थन करेंगे. अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उत्पाद बेचने को गुडबॉय कहने के लिए तैयार रहना चाहिए. वे किसी और “मूर्ख” को खोज सकते हैं! इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए.”
रूस कर रहा है डॉलर के खिलाफ जोरदार पैरवी
आपको बता दें कि इस साल अक्टूबर में हुए BRICS देशों के शिखर सम्मेलन में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका पर डॉलर को “हथियार” बनाने का आरोप लगाते हुए इसे “बड़ी गलती” बताया था. उस समय पुतिन ने कहा, “यह हम नहीं हैं जो डॉलर का उपयोग करने से इनकार कर रहे हैं. लेकिन अगर वे हमें काम नहीं करने दे रहे हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? हमें विकल्प खोजने के लिए मजबूर होना पड़ता है.”
रूस ने विशेष रूप से एक नई भुगतान प्रणाली के निर्माण पर जोर दिया है जो ग्लोबल बैंक मैसेजिंग नेटवर्क का विकल्प प्रदान करेगी और मास्को को पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने और भागीदारों के साथ व्यापार करने की अनुमति देगी. ट्रम्प ने कहा कि “कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और कोई भी देश जो ऐसा करने की कोशिश करता है, उसे “अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए.”
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