पाकिस्तान की इकॉनॉमिक सेंसस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक देश में मस्जिदों और मदरसों की संख्या फैक्ट्रियों से कहीं ज्यादा है. पाकिस्तान में 6 लाख से ज्यादा मस्जिदें और 36 हजार से अधिक मदरसे मौजूद हैं, जबकि फैक्ट्रियों की संख्या केवल 23 हजार है. यह रिपोर्ट उस समय सामने आई है जब नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी समीक्षा पर बातचीत कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में कुल 40 मिलियन स्थायी इकाइयों में से 7.2 मिलियन रोजगार संरचनाएं दर्ज की गई हैं, जहां 2023 तक 25.4 मिलियन लोग काम कर रहे थे. इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा सर्विस सेक्टर का है, जिसमें 45% यानी 11.3 मिलियन लोग काम करते हैं. इसके बाद 30% यानी 7.6 मिलियन लोग सोशल सेक्टर में और सिर्फ 22% लोग प्रोडक्शन सेक्टर में कार्यरत हैं.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह आंकड़े इस मिथक को तोड़ते हैं कि इंडस्ट्री ही देश का मुख्य जॉब-क्रिएटिंग सेक्टर है, जबकि असल में सर्विस सेक्टर दुगुना रोजगार देता है.
6.04 लाख मस्जिदें और 36,331 मदरसे
रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान में कुल 7.2 मिलियन दर्ज प्रतिष्ठानों में 2.7 मिलियन रिटेल शॉप्स, 1.88 लाख होलसेल शॉप्स, 2.56 लाख होटल और 1.19 लाख हॉस्पिटल शामिल हैं. एजुकेशन सेक्टर में 2.42 लाख स्कूल, 11,568 कॉलेज, 214 यूनिवर्सिटी, 6.04 लाख मस्जिदें और 36,331 मदरसे दर्ज किए गए. इनमें से ज्यादातर स्कूल सरकारी हैं, जबकि कॉलेजों में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी थोड़ी ज्यादा है.
राज्यवार आंकड़े
पंजाब में सबसे ज्यादा 58% प्रतिष्ठान हैं. इसके बाद सिंध (20%), खैबर पख्तूनख्वा (15%) और बलूचिस्तान (6%) का स्थान है. इस्लामाबाद कैपिटल रीजन की हिस्सेदारी सबसे कम यानी 1% है. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के ज्यादातर बिज़नेस छोटे स्तर के हैं. लगभग 7.1 मिलियन इकॉनॉमिक स्ट्रक्चर्स 1 से 50 लोगों को रोजगार देते हैं. 51 से 250 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान केवल 35,351 हैं और 250 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले यूनिट्स सिर्फ 7,086 हैं.
रिपोर्ट पेश करते हुए योजना मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि “विश्वसनीय डेटा टिकाऊ विकास की रीढ़ है, क्योंकि यह एविडेंस-बेस्ड प्लानिंग और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है.”