जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को एक बार फिर मदरसों पर कार्रवाई को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि मदरसों को बंद करने का अभियान मुसलमानों के संवैधानिक, धार्मिक आज़ादी और संवैधानिक अधिकारों पर एक गंभीर हमला है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे मुसलमानों की जीवन-रेखा हैं. मदरसों की सुरक्षा दीन की सुरक्षा है.
मौलाना अरशद मदनी का आरोप है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन नेपाल से सटे सभी मुस्लिम बहुल जिलों में मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. अब तक सरकार इन इलाकों में सैकड़ों मदरसों को बंद कर दिया है. मौलाना मदनी ने मदरसों को बंद करने के अभियान को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है. ऐसा कर हमारे जीवन-रेखा को काट देने की साजिश हो रही है.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘मदरसों को बंद करने का अभियान मुसलमानों के संवैधानिक, धार्मिक आज़ादी और संवैधानिक अधिकारों पर एक गंभीर हमला है. मदरसे मुसलमानों की जीवन-रेखा हैं, अब हमारी इसी जीवन-रेखा को काट देने की साज़िश हो रही है. असंवैधानिक घोषित कर के मदरसों के खिलाफ़ कार्रवाई का नवीनतम अभियान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मदरसों की सुरक्षा दीन की सुरक्षा है. हम लोकतांत्र, संविधान की सर्वाेच्चता और मदरसों की सुरक्षा के लिए क़ानूनी और लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रखेंगे.’ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने अक्टूबर 2024 को मदरसों पर कार्रवाई के खिलाफ नोटिस जारी करने पर रोक लगाई थी. इससे पहले मदनी ने मदरसे पर कार्रवाई को अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा में पीछे करना बताया था.
संविधान की धाराओं को रौंदने का प्रयास- मदनी
इससे पहले मौलाना मदनी ने कहा था कि मदरसों को निशाना बनाना, मुसलमानों को राजनीतिक रूप से कमजोर करने जैसा है. ऐसा करने से उन्हें धार्मिक शिक्षा से भी वंचित रखना है. उनका कहना है कि यह अभियान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन ही नहीं बल्कि संविधान की उन धाराओं को भी रौंदने का प्रयास है जिसमें अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थान स्थापित करने की आजादी दी गई है.