भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में साल्वर बैठाकर परीक्षा पास करने का मामला न केवल राज्य बल्कि देशभर की आधार-बायोमेट्रिक आधारित परीक्षाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। इस घोटाले में अब तक 9 जिलों में 21 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। दो साल्वर समेत 24 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
खास बात यह है कि उम्मीदवारों ने परीक्षा के पहले और बाद में आधार अपडेट कराकर अपने स्थान पर किसी और को परीक्षा दिलाई, जो UIDAI की प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
जांच में सामने आया है कि अभ्यर्थियों ने परीक्षा से पहले अपने आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेट (फोटो और फिंगरप्रिंट) करवा कर साल्वर का विवरण जुड़वाया। इस प्रक्रिया के बाद साल्वर ने परीक्षा दी। उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा के पहले असली अभ्यर्थी ने फिर से बायोमेट्रिक अपडेट करवा कर अपनी पहचान बहाल कर ली। इस तरह बिना किसी शक के भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई।
UIDAI और पुलिस ने शुरू की संयुक्त जांच
पुलिस मुख्यालय में गुरुवार को UIDAI अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह तय किया गया कि फर्जीवाड़ा करने वाले अभ्यर्थियों को कैसे ट्रैक किया जाए। UIDAI उन अभ्यर्थियों की जानकारी जुटा सकता है जिन्होंने परीक्षा के दौरान बार-बार बायोमेट्रिक अपडेट कराए थे। हालांकि, इसके लिए उम्मीदवार की सहमति जरूरी है, जो जांच की प्रक्रिया को जटिल बना सकता है।
इन जिलों में दर्ज हुए मामले
अब तक शिवपुरी, श्योपुर, इंदौर, ग्वालियर, आलीराजपुर, राजगढ़, मुरैना, शहडोल और दतिया जिलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। गिरफ्तार हुए आरोपियों में से एक बिहार निवासी है, वहीं आधार अपडेट में छत्तीसगढ़ के एक ऑपरेटर की भूमिका सामने आई है। इससे इस फर्जीवाड़े के अंतरराज्यीय नेटवर्क की पुष्टि होती है।
कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की
घोटाले के उजागर होने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर कहा कि मामला दो दिन से सामने है लेकिन मुख्यमंत्री चुप हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घोटाला न केवल भर्ती बल्कि विभागीय मिलीभगत का भी प्रमाण है। कुछ कांग्रेस नेताओं और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने विशेष जांच दल (SIT) के गठन की भी मांग की है।
सिस्टम की खामियों का हुआ खुलासा
विशेषज्ञों का कहना है कि UIDAI द्वारा बायोमेट्रिक अपडेट में दी गई ढील इस पूरे फर्जीवाड़े की जड़ है। वर्तमान में केवल बायोमेट्रिक अपडेट के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाता, जिससे निजी ऑपरेटरों की लापरवाही सामने आती है। फोटो अपडेट जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में भी कई बार नियमों को नजरअंदाज किया गया।