ज्यादा चीनी के सेवन से बच्चों में ‘टाइप-2 डायबिटीज’ का खतरा, स्कूलों में लगेगा बोर्ड…बोले महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री

महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भूसे ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और इसका एक प्रमुख कारण स्कूलों के आसपास आसानी से उपलब्ध मिठाइयां और मीठे पेय पदार्थ हैं. उन्होंने कहा कि अत्यधिक चीनी सेवन के कारण बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनमें टाइप-2 डायबिटीज प्रमुख है.

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शिवसेना विधायक किशोर पाटिल और अन्य सदस्यों द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में भूसे ने कहा कि बच्चों के असंतुलित खानपान, विशेषकर चीनी की अधिक खपत के चलते मोटापे और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने 1 जुलाई को सभी राज्यों को पत्र भेजकर चेताया है कि स्कूली बच्चों में तेजी से बढ़ता मोटापा एक चिंताजनक स्थिति बन गया है.

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शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य के सभी स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ लगाए जाएंगे. इन बोर्डों पर अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी जाएगी ताकि बच्चे और अभिभावक दोनों सजग हो सकें.

भूसे ने कहा, राज्य शिक्षा बोर्ड ने अपने अधीनस्थ सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे शुगर बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाएं. इसका उद्देश्य छात्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मीठे खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन को कम करना है.

बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज को लेकर चिंता

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिससे ब्लज में सुगर स्तर बढ़ जाता है.

सरकार की इस पहल का उद्देश्य बच्चों को बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना और भविष्य में गंभीर बीमारियों से बचाना है. शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह कदम स्कूल स्तर पर पोषण और स्वास्थ्य को लेकर एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम साबित होगा.

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