रायबरेली का एक ऐसा मंदिर जहां पहुंचते ही उतर जाता है विषैले सांपों का जहर, महाभारत काल से जुड़ी है मान्यता

रायबरेली: रायबरेली में एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग मानते हैं कि यहां आने भर से ही सांप के जहर का असर खत्म हो जाता है. रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर, लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर स्थित गंगागंज कस्बा से लगभग 4 किमी दूर लालूपुर खास गांव में आस्तिक बाबा का ये प्रसिद्ध मंदिर स्थित है. लोगों की मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति आस्तिक बाबा का नाम भी ले लेता है, तो उसे सांपों से डर नहीं लगता. यहां तक कि अगर किसी को जहरीले सांप ने काट लिया हो, तो मंदिर में पहुंचने पर वो पूरी तरह ठीक हो जाता है. खास बात ये है कि इसके लिए किसी दवाई या इलाज की जरूरत नहीं पड़ती.

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महाभारत काल से जुड़ी है मान्यता

मंदिर के पुजारी अमित तिवारी(गुड्डन) बताते हैं कि आस्तिक बाबा मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता के मुताबिक, एक बार राजा परीक्षित जंगल में शिकार पर गए थे. वहां उनके तीर से एक हिरण घायल हो गया, लेकिन वो हिरण अचानक गायब हो गया. तभी राजा ने एक ऋषि को ध्यान में लीन देखा. जब राजा ने उनसे सवाल किए और जवाब नहीं मिला तो गुस्से में आकर राजा ने ऋषि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया. ये देखकर ऋषि के पुत्र श्रंगी ने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि एक सप्ताह के भीतर तक्षक नाग उन्हें डस लेगा. बाद में जब राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को ये बात पता चली तो उन्होंने नागों को खत्म करने के लिए विशाल यज्ञ करवाया. तभी आस्तिक महाराज ने यज्ञ रोककर तक्षक नाग की जान बचाई. तभी से ऐसा माना जाता है कि आस्तिक बाबा का नाम लेने से सांपों का भय खत्म हो जाता है.

सावन में लगता है विशाल मेला

सावन माह की चतुर्दशी को यहां विशाल मेला लगता है. सिर्फ रायबरेली ही नहीं, आसपास के जिलों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में नाग पंचमी से ठीक एक दिन पहले हजारों लोग जुटते हैं, ताकि सालभर सांपों का कोप उनके ऊपर न पड़े. नागपंचमी के दिन यहां ‘खंभिया’ चढ़ाने की परंपरा है. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से सांपों के भय से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खंभिया लकड़ी से बनी एक विशेष वस्तु होती है, जिसके कोने काटकर बीच में कील ठोकी जाती है.

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