ग्लेशियर से खतरे की आशंका नहीं, जलस्तर बढ़ते ही मिलेगा अलर्ट; उत्तराखंड की 5 झीलों में लगेंगे सेंसर…

उत्तराखंड में 13 ग्लेशियर झीलें हैं. कई बार ग्लेशियर के टूटने या पिघलने से नदियों में पानी का लेवल बढ़ जाता है और ऐसे में बाढ़ के हालात बन जाते हैं, लेकिन अब ऐसी तैयारी की जा रही है, जिसके बाद बाढ़ आने से पहले ही पता चल जाएगा. इसके लिए उत्तराखंड की ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाने की तैयारी की जा रही है. इनमें पांच झीलों को मार्क किया गया है, जिनमें सेंसर लगाने की योजना बनाई गई है.

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इसके अलावा कुछ झीलों के बारे में स्टडी करने का फैसला भी लिया गया है. इनमें वह झीलें शामिल हैं, जो बहुत ज्यादा संवेदनशील हैं. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से ये फैसला लिया गया है. पांच झीलों के अलावा गंगोत्री से आगे केदारताल झील की भी स्टडी करने का फैसला लिया गया है. पिछले साल राज्य के चमोली जिले की वसुंधरा ताल की स्टडी की गई थी.

30 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया

जिन ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाने का फैसला लिया गया है. उनके लिए आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 30 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है. सेंसर को लगाने की योजना झीलों में समय-समय पर होने वाले बदलाव का पता लगाने के लिए बनाई गई है, जिससे की कुछ भी बदलाव होने से पहले ही सुरक्षा के मद्देनजर कदम उठाए जा सकें.

झील में होने वाले बदलाव का पता

सेंसर लगाए जाने के बाद झील में होने वाले बदलाव का पता लगाया जा सकेगा. ये सेंसर किसी भी खतरे को लेकर पहले ही अलर्ट कर देंगे, जिससे पहले ही जरूरत के मुताबिक इंतजाम किए जा सकेंगे और सुरक्षित कदम उठाए जा सकेंगे. ग्लेशियर के पीछे या उसके किनारे पर पिघले हुए पानी से झीलें बन जाती हैं. जब ग्लेशियर फटने से अचानक बड़ी मात्रा में पानी निकलता है, तो आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है. इन सेंसर के लग जाने के बाद ऐसी स्थिति में पहले अलर्ट मिल जाएगा.

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