हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) संगठन को खत्म करने के लिए मालेगांव मामले में षड्यंत्र रचा था और भगवा आतंकवाद का नाम दिया. उन्होंने कहा कि मालेगांव की घटना के दौरान केंद्र महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकारें थी और कांग्रेस ने आरएसएस को खत्म करने के लिए षडयंत्र रचा था, जोकि डीपरूटेड (गहरी जडें) हैं और मैं चाहूंगा कि इस मामले की पूरी तह तक जांच हो और जिन लोगों ने इस षडयंत्र को रचा है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए.
विज पत्रकारों द्वारा मालेगांव मामले में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. इससे पहले, उन्होंने मालेगांव मामले में ट्वीट किया था कि मालेगांव के झूठे मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी को यदि कोई छू भी देता तो देश में आग लग जाती. मोहन भागवत विश्व की सबसे बड़ी संस्था के प्रमुख हैं जो देश को परम वैभव पर पहुंचाने और लोगों में चरित्र निर्माण तथा देशभक्ति की भावना भरने के लिए सतत प्रयास कर रही है.
भगवा आतंकवाद नहीं, आशीर्वाद
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में भगवा आतंकवाद नहीं होता, हिंदुस्तान में भगवा आशीर्वाद होता है और उसी भगवा आशीर्वाद से इस देश में ज्ञान की गंगा बह रही है, उन्हीं भगवाधारियों ने इस देश की संस्कृति, मान्यताओं व पहचान को संभालकर रखा है.
उन्होंने कहा कि एसटीफ ने ये उजागर किया है कि उनके अधिकारियों को आदेश दिए गए थे कि आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत जी को भी गिरफ्तार किया जाए और एसटीएफ ने ये भी बताया है कि उन्हें हथियार और आदमी भी दे दिए गए थे.
विज ने कहा कि मैं यह कहना चाहता हूं कि मालेगांव के झूठे केस में अगर आरएसएस सरसंघ चालक मोहन भागवत को कोई छू कर भी चला जाता, तो इस देश में आग लग जाती.
विज ने कांग्रेस पर बोला हमला, लगाया ये आरोप
विज ने कहा कि आरएसएस विश्व का सबसे बड़ा संगठन है और यह देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रहा है. इसकी 48 विंग है, रोजाना शाखाएं लगती है, रोजाना लोगों में चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा करने के लिए लगातार यह संगठन काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के गृह मंत्री रहे हैं और उन्हें लगता है कि इतनी बड़ी कार्रवाई उस समय के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की सहमति के बिना कोई नहीं कर सकता. यह बहुत घातक व खतरनाक है क्योंकि उस समय महाराष्ट्र व केंद्र में कांग्रेस की सरकारें थी.