बजट 2024 में सरकार ने प्रॉपर्टी बेचने पर लगने वाले टैक्स के नियम में बड़ा बदलाव किया, जिसके बाद से विवाद बढ़ गया. सरकार ने लॉन्ग टर्म में प्रॉपर्टी बेचने पर लगने वाले LTCG टैक्स को कम करके 12.5 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन इसपर मिलने वाले Indexation बेनिफिट को भी हटा दिया, जो प्रॉपर्टी से हुए मुनाफे पर टैक्स देनदारी कम करता था. हालांकि अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि कौन सी प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन लागू होगा और कौन सी प्रॉपर्टी पर नहीं?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एक स्टैंडर्ड लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स का ऐलान किया. पहले, कई फाइनेंशियल और नॉन- फाइनेंशियल प्रॉपर्टीज पर अलग-अलग LTCG रेट्स लागू होते थें. जैसे- एक साल से ज्यादा समय तक रखे गए शेयरों को बेचने पर 10 प्रतिशत LTCG टैक्स लगता था, जबकि रियल एस्टेट और सोने जैसे नॉन फाइनेंशियल प्रॉपर्टी को सेल करने पर 20 प्रतिशत टैक्स लगाया था.
क्या है प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर नया नियम?
अब सरकार ने बजट में किसी भी तरह की संपत्ति को सेल करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स एक कर दिया है. इसका मतलब है कि चाहे आप शेयर बेचें या फिर कोई भी प्रॉपर्टी सेल करें, आपको 12.5 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. हालांकि सरकार ने प्रॉपर्टी बेचने पर मिलने वाले इंडेक्सेशन को हटा दिया है. सरकार का कहना है कि यह टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए किया गया है.
इन प्रॉपर्टी पर अभी भी लागू होगा इंडेक्सेशन
केंद्रीय बजट के अनुसार, एलटीसीजी टैक्स को 12.5 प्रतिशत तक रखने और आयकर अधिनियम की धारा 48 के तहत मौजूद इंडेक्सेशन को किसी भी एलटीसीजी के कैलकुलेशन के लिए हटाने का प्रस्ताव है, जो वर्तमान में प्रॉपर्टी, सोना और अन्य नॉन-लिस्टेड प्रॉपर्टीज के लिए है. बजट प्रस्ताव पर फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन ने कहा कि Indexation बेनिफिट 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टीज पर लागू होगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बजट 2024 ने प्रॉपर्टी सेलर्स को दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली- 2001 से पहले खरीदी गई या विरासत में मिली प्रॉपर्टी और दूसरी- 2001 या उसके बाद खरीदी गई प्रॉपर्टी या विरासत में मिली प्रॉपर्टी शामिल है.
इंडेक्सेशन क्या है?
इंडेक्सेशन किसी प्रॉपर्टी की खरीद प्राइस को समय के साथ महंगाई के अनुसार एडजस्ट करता है, जिसका उपयोग कैपिटल गेन के कैलकुलेशन के लिए किया जाता है. सरकार आधार वर्ष (2001-2002) के रिलेटेड वैल्यू चेंजेज को मापने के लिए हर साल कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) जारी करती है. इस आधार पर कैलकुलेशन करके इंडेक्सेशन निकाला जाता है.