भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम को लेकर इंटरनेशनल मीडिया में चल रही कुछ खबरों का खंडन किया है और इन्हें झूठा और मनगढ़ंत बताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने रविवार को बताया कि सीजफायर को लेकर पाकिस्तान के साथ विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की कोई वार्ता नहीं हुई थी. पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ की ओर से बातचीत की पहल की गई थी और इंडियन आर्मी के डीजीएमओ ने उनसे बात की. सीएनएन की एक रिपोर्ट में पहले कहा गया था कि वाशिंगटन द्वारा ‘खतरनाक खुफिया जानकारी’ प्राप्त करने के बाद, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने युद्धविराम की दिशा में बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए सीधे पीएम मोदी से संपर्क किया.
सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए उस खुफिया जानकारी के बारे में खुलासा नहीं किया गया, जिस कारण वेंस को बिना देर किए पीएम मोदी से संपर्क करना पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस खुफिया जानकारी ने अमेरिकी नेतृत्व को तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया. वेंस ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव ऐसी स्थिति में पहुंच सकता है, जहां से पीछे लौटना संभव नहीं होगा. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर पर वार्ता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन भारत की ओर से एनएसए या विदेश मंत्री स्तर पर ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई. सिर्फ दोनों देशों की थल सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) के बीच चर्चा हुई.
भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह कश्मीर के मामले में किसी की मध्यस्थता नहीं चाहता. यह बात ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मध्यस्थता की पेशकश का स्वागत किया और ट्रंप को ऐसा करने की इच्छा व्यक्त करने के लिए धन्यवाद दिया. लेकिन भारत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ सिर्फ उसके कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने पर ही बात होगी.
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, ‘कश्मीर पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है, अब केवल एक मामला बचा है- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की वापसी. इसके अलावा बात करने के लिए कुछ नहीं है. अगर वे आतंकवादियों को सौंपने की बात करते हैं, तो हम बात कर सकते हैं. हमारा किसी अन्य विषय पर उनसे बातचीत का कोई इरादा नहीं है. हम नहीं चाहते कि कोई मध्यस्थता करे. हमें किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है.’ डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को तनाव कम करने पर सहमत होने के लिए भारत और पाकिस्तान की प्रशंसा की और कश्मीर विवाद पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी. चार दिनों तक चले हवाई हमलों के बाद शनिवार को भारत और पाकिस्तान तनाव कम करने पर सहमत हो गए थे. यह घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की और बाद में इस्लामाबाद और नई दिल्ली ने इसकी पुष्टि की.