मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लखनपुरा हाई स्कूल है. इस स्कूल की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है. इस स्कूल में 10 कक्षाओं यानी एक से लेकर 10वीं तक पूरे स्कूल में सिर्फ 34 स्टूडेंट्स हैं और इनके लिए 7 टीचर्स हैं. इन 7 शिक्षकों में से भी 3 अतिथि हैं. इस स्कूल की 10वीं कक्षा में सिर्फ एक छात्रा थी और वह भी फेल हो गई. 10वीं की छात्रा के हर सब्जेक्ट में थ्योरी में 4 से 7 नंबर ही आए.
10वीं की छात्रा 500 में से महज 133 मार्क्स ही हासिल कर पाई और फेल हो गई. यानी इस स्कूल की पूरी 10वीं कक्षा फेल हो गई. क्योंकि पूरी कक्षा में ये अकेली छात्रा ही थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस स्कूल की क्या हालत है. हालांकि छात्रा की उपस्थिति पूरी थी. कुछ ऐसे ही हालात गुना के खजूरी स्कूल के भी रहे. यहां भी दोनों परीक्षार्थी परीक्षा में फेल हो गए.
70 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे फेल
परीक्षा में इस बार सिर्फ इन दो स्कूल के नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिति खराब रही. 25 स्कूलों में 70 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे फेल हो गए हैं. ग्वालियर के लखनपुरा ही नहीं बल्कि 87 स्कूल ऐसे हैं, जिनकी स्थिति और चिंताजनक है. इनमें स्टूडेंट्स की संख्या 10 से भी ज्यादा कम है यानी पूरे स्कूल में सिर्फ 10 छात्र ही पढ़ते हैं. जिला पंचायत सदस्य आशा जसवंत सिंह झाला ने जानकारी देते हुए बताया कि घाटीगांव ब्लॉक के भी कई गांवों के स्कूलों के भी यही हालात हैं.
प्रिंसिपल की सैलरी रोकने का एक्शन
इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें शिक्षक हैं. लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले सिर्फ 2 से 3 ही बच्चे हैं. लखनपुरा का तो रिजल्ट ही जीरो रहा है. इसको लेकर डीईओ अजय कटियार ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जा रही है. हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान 8 लोगों का सेटअप बनाया जाता है. इनमें से एक प्रिंसिपल, लैब असिस्टेंट और 6 टीचर होते हैं. ऐसे में जिन स्कूलों का रिजल्ट कम हैं. उन स्कूलों के प्रिंसिपल की सैलरी रोकने का एक्शन लिया जा रहा है.