अशोकनगर। जिले की आंगनबाड़ियों में अधिकारियों द्वारा वसूली का खुला खेल जारी है। इस दौरान जो कार्यकर्ता इन अधिकारियों की जेब भरने वाली अवैध वसूली के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसकी आवाज को दबाने के लिए उसको हटाने की धमकी देते हुए अन्य दूसरे तरह से प्रताड़ित किया जाता है। लगातार प्रताड़ना के दबाव में शहरी आंगनबाड़ी क्षेत्र की एक कार्यकर्ता इतनी घबरा गई कि उसके सीने में उठे दर्द के बाद उसको आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा।
यह है पूरा मामला
अस्पताल में भर्ती आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने मीडिया को बताया कि वसूली का पूरी चैनल है जिसके तहत अधिकारियों द्वारा नियुक्त कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वसूली करती हैं और जो पैसे देने से इंकार करता है तो उसको सुपरवाइजर से लेकर परियोजना अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।
जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता ओझा ने कुछ इसी तरह का खुलासा गंभीर अवस्था में मीडिया के समक्ष किया।
इस दौरान उन्होंने बताया कि सोमवार को शहरी परियोजना अधिकारी का उनके मोबाइल पर फोन आया जिसमें उन्होंने कहा कि तत्काल रजिस्टर लेकर आफिस आओ।
जब ममता ने बताया कि उनके चाचा ससुर का निधन हो गया है नहीं आ सकती तो परियोजना अधिकारी ने नहीं आने पर नौकरी से निकालने की धमकी दे डाली
इस पर डरी सहमी रजिस्टर लेकर जब ममला शहरी परियोजना अधिकारी के कार्यालय में पहुंची तो जांच के दौरान परियोजना अधिकारी ने शिवहरे बुक के एक खाली बिल को फर्जी बताते हुए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि 10 रुपए के बिल कोई नहीं देता इसलिए जब एक साथ रजिस्टर और दूसरे स्टेशनरी हो जाती है तो बिल बना दिया जाता है।
इस पर परियोजना अधिकारी ने नौकरी से हटाने की धमकी दे डाली। जब वे शिकायत करने के लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंची तो वहां उन्हें विभाग के दूसरे लोगों ने कलेक्टर से नहीं मिलने दिया।
इसके बाद जिला अधिकारी चंद्रसेना भिड़े उन्हें समझाकर वापस बाहर ले आईं जहां उनकी कुछ ही देर बाद तबीयत बिगड़ गई और आईसीयू में भर्ती हो गईं।
वसूली के लिए कार्यकर्ताओं की टीम नियुक्त
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ही अलग-अलग आंगनबाड़ियों से वसूली कराई जाती है। ममता ने बताया कि चाहे रंगोली बनाने का कार्यक्रम हो या फिर महिला बाल विकास विभाग का कोई कार्यक्रम सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कलेक्शन किया जाता है।
इसी बात को लेकर उनका विवाद होता रहा है। उन्होंने किसी खुशबू श्रीवास्तव के अलावा अन्य कार्यकर्ताओं के नाम बताए जो वसूली करती हैं।
ममता ने बताया कि उसकी बड़ी बेटी के दिल में छेद है जिसकी दवाई में बड़ी राशि हर माह खर्च होती है। इसलिए वह पैसा देने से इंकार करती है तो उसको प्रताड़ित किया जाता है।