यूपी के संभल जिले में सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर लगने वाले ‘नेजा मेले’ का आयोजन अब नहीं होगा. ‘नेजा मेला’ कमेटी के लोग अनुमति मांगने एडिशनल एसपी श्रीशचंद्र के पास पहुंचे थे, लेकिन एडिशनल एसपी ने कमेटी को दो टूक मना कर दिया. साथ ही नसीहत देते हुए कहा कि सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले, भारत में लूटमार व कत्लेआम मचाने वाले की याद में किसी भी मेले का आयोजन नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक लुटेरे के नाम पर मेले का आयोजन करके आप लोग अभी तक अपराध करते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा.
आपको बता दें कि सैयद सालार मसूद गाजी विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था. गजनवी ने 1000 से 1027 ईस्वी के बीच भारत पर 17 बार हमला किया था. इस दौरान उसने हिंदुओं की आस्था के प्रतीक सोमनाथ मंदिर सहित कई बड़े मंदिरों पर भी आक्रमण किया था.
संभल पुलिस की ‘नेजा मेला’ कमेटी को दो टूक
संभल के एसएसपी श्रीशचंद्र ने ‘नेजा मेला’ कमेटी के लोगों से कहा कि सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले, लुटेरे-हत्यारे की याद में किसी भी मेले का जिले में नहीं होगा. जो कोई व्यक्ति हत्यारे और लुटेरे के साथ रहेगा वह देश के साथ अपराध कर रहा है. आप लोग लुटेरे के नाम पर मेले का आयोजन करके अपराध करते रहे हैं. जिसने इस लुटेरे के नाम पर मेले का आयोजन किया वह व्यक्ति देशद्रोही की श्रेणी में आएगा.
एसएसपी ने कहा कि ‘नेजा मेला’ एक बुरी कुरीति थी. किसी भी लुटेरे के नाम पर मेले का आयोजन किया जाना पूरी तरह से गलत है. कानून व्यवस्था के चलते इजाजत नहीं दी जा रही है. मेला लगाने की किसी को कोई अनुमति नहीं है. अगर कोई नियम तोड़ेगा तो उसपर एक्शन लिया जाएगा.
दरअसल, संभल में होली के बाद सैयद सालार मसूद गाजी की याद में ‘नेजा मेला’ लगाया जाता था. ये काफी पुरानी परंपरा थी. हालांकि, इस आयोजन को लेकर पहले भी आपत्ति जताई गई थी. अब संभल जिला प्रशासन ने साफ कह दिया है कि वह लुटेरों के नाम पर मेले का आयोजन नहीं होने देगा. यानि कि इस साल संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होने वाला ‘नेजा मेला’ नहीं लगेगा.
इससे पहले ‘नेजा कमेटी’ के पदाधिकारियों ने एसडीएम डॉ. बंदना मिश्रा से भी मुलाकात की थी. पदाधिकारियों ने उनसे मेले के आयोजन की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब भी एसडीएम ने साफ कर दिया था कि ‘नेजा मेले’ के नाम पर कोई अनुमति नहीं दी जाएगी. वहीं, पदाधिकारियों ने तर्क दिया कि ‘नेजा मेला’ सदियों पुरानी परंपरा है और इसे उसी स्वरूप में आयोजित किया जाना चाहिए. लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी.