करूर भगदड़ मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है. कोर्ट ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी राजनीतिक रैलियों, रोड शो और अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक कि ऐसे कार्यक्रमों के लिए एसओपी तैयार नहीं कर ली जाती.
कोर्ट ने यह आदेश चार जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई करते हुए दिया है. इन याचिकाओं में टीवीके के नेता विजय की रैली के दौरान करूर में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए एसओपी तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
कब तक नहीं होगी रैलियां?
करूर भगदड़ मामले में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि जब तक रैलियों को लेकर एसओपी तैयार नहीं कर ली जाती, तब तक वह राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसी भी तरह की सभाओं की अनुमति नहीं देगी. हालांकि पहले से निर्धारित स्थानों पर रैली या सभा की जा सकती है.
पुलिस को लगाई फटकार
जस्टिस सेंथिलकुमार ने हाल ही में हुए करूर भगदड़ को लेकर तमिलनाडु पुलिस की कड़ी आलोचना की. कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या इस घटना को लेकर कोई मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने पुलिस से सवाल करते हुए कहा, “इस भगदड़ को लेकर मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया है? अगर कोई शिकायत नहीं दी गई है, तब भी पुलिस को मामला दर्ज करना ही होगा.”
SIT को सौंपी जिम्मेदारी
कोर्ट ने करूर भगदड़ मामले को लेकर एक SIT का गठन किया है. कोर्ट ने इस मामले की आगे की जांच SIT को सौंपी है. इस टीम का नेतृत्व आईजी असरा गर्ग करेंगे. कोर्ट ने करूर पुलिस को इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज एसआईटी को तुरंत सौंपने के निर्देश दिए हैं.
पीड़ितों के प्रति की व्यक्त की संवेदना
जस्टिस सेंथिलकुमार ने याचिका पर सुनवाई करते हुए भगदड़ में घायल हुए पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की. जस्टिस ने कहा कि घटना का वीडियो देखना दुखद है. उन्होंने कहा कि अब तक केवल दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्होंने आगे की कार्रवाई के बारे में अधिकारियों से सवाल किया.
टीवीके के नेता विजय ने चुनावी प्रचार के लिए 27 सितंबर को करूर में एक रैली की थी. यह रैली कुछ ही समय में एक भयानक हादसे में बदल गई. इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया.