भारत को विश्व की डायबिटीज राजधानी कहा जाने लगा है, जहां 10 करोड़ से ज्यादा लोग इस लाइफस्टाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए हाल ही में एक यूनीक अध्ययन किया गया, जिससे डायबिटीज के खतरे को कम करने का एक संभावित उपाय सामने आया है. इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई के सहयोग से किए गए इस अध्ययन ने लो-AGE (Advanced Glycation End Products) डायट को डायबिटीज के खतरे को कम करने में सहायक पाया.
AGEs उन हानिकारक तत्वों को कहते हैं जो तब बनते हैं जब कुछ फूड्स को हाई तापमान पर पकाया जाता है, विशेष रूप से तले हुए और प्रोसेस्ड फूड्स में. ये तत्व शरीर में सूजन, इंसुलिन रजिस्टेंस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जिससे डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
कौन से हाई-AGE फूड्स बढ़ा रहे डायबिटीज का खतरा?
* फ्राइड फूड्स: चिप्स, फ्राइड चिकन, समोसा, पकोड़े
* बेक्ड गुड्स: कुकीज, केक, क्रैकर्स
* प्रोसेस्ड फूड्स: रेडीमेड मील्स, मार्जरीन, मेयोनेज़
* ज्यादा तापमान पर पकाए गए एनिमल-बेस्ड फूड्स: ग्रिल्ड या रोस्टेड मीट जैसे बेकन, बीफ, पोल्ट्री
* भुने हुए मेवे: सूखे मेवे, भुने हुए अखरोट, सूरजमुखी के बीज
ये फूड्स भारतीय खान-पान का अहम हिस्सा हैं और इन्हें पकाने के तरीके जैसे फ्राई करना, रोस्ट करना, ग्रिल करना और बेक करना इनके AGE लेवल को बढ़ा देते हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि प्रोसेस्ड और ऑयली फूड्स से बचकर और ताजे, साबुत भोजन को शामिल कर डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.