इंडियन प्रीमियर लीग 2025 की मेगा ऑक्शन से पहले मुंबई में आईपीएल की सभी 10 टीमों की बैठक हुई जिसमें इन टीमों के मालिकों ने मिलकर एक बड़ी डिमांड आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सामने रखी है. सभी टीमों ने उन खिलाड़ियों पर कार्रवाई की मांग की है जो ऑक्शन में बिकने के बाद अचानक अपना नाम वापस ले लेते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक आईपीएल टीमों ने अचानक अपना नाम वापस लेने वाले विदेशी खिलाड़ियों पर दो साल का बैन लगाने की मांग की है. यही नहीं इसके साथ-साथ टीमों ने मांग की है कि विदेशी खिलाड़ियों को मेगा ऑक्शन में अपना नाम रजिस्टर करना अनिवार्य किया जाए.
सभी टीमें हैं नाराज
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि सभी टीमें विदेशी खिलाड़ियों से काफी दुखी हैं. टीमों का कहना है कि विदेशी खिलाड़ी आईपीएल ऑक्शन के बाद अचानक अपना नाम वापस ले लेते हैं जिससे टीम के प्रदर्शन और रणनीति पर गहरा असर पड़ता है. उनके अचानक जाने से टीमों को दूसरे खिलाड़ियों पर दांव लगाना पड़ता है. टीमों ने कहा कि अगर खिलाड़ी को चोट लगे तो वहां उसे छूट दी जा सकती है लेकिन कई खिलाड़ी ऑक्शन में कम कीमत मिलने की वजह से नाम वापस लेते हैं. टीमों ने बताया कि कई विदेशी खिलाड़ी इसीलिए नाम वापस लेते हैं क्योंकि वो बेस प्राइस पर बिकते हैं. बाद में उनके मैनेजर कहते हैं कि अगर उन्हें थोड़ा और दाम मिला होता तो वो खिलाड़ी जरूर आईपीएल में खेलता.
मेगा ऑक्शन में विदेशी खिलाड़ियों का नाम रजिस्टर करना क्यों जरूरी?
अब सवाल ये है कि आखिर फ्रेंचाइजियों ने विदेशी खिलाड़ियों के लिए मेगा ऑक्शन में नाम रजिस्टर करने की मांग क्यों रखी है? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईपीएल टीमों का मानना है कि कई बड़े विदेशी खिलाड़ी मेगा ऑक्शन की जगह मिनी ऑक्शन में नाम रजिस्टर करना पसंद करते हैं. दरअसल मिनी ऑक्शन में कम बडे़ खिलाड़ी आते हैं जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा बड़ी रकम मिलने की संभावना रहती है. वहीं मेगा ऑक्शन में ज्यादा बड़े नाम होने की वजह से बोली ज्यादा ऊपर नहीं जाती. उदाहरण के तौर पर 2022 में हुई मेगा ऑक्शन में ईशान किशन सबसे ज्यादा 15.25 करोड़ में बिके थे. वहीं पिछले साल हुई मिनी ऑक्शन में पैट कमिंस 20.50 करोड़, मिचेल स्टार्क 24.75 करोड़ में बिके थे. फ्रेंचाइजियां विदेशी खिलाड़ियों की इस चाल को भी खत्म करना चाहती हैं.