उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में सक्रिय एक बड़े रंगदारी गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह उद्यमियों और बिल्डरों को झूठी शिकायतों के जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता था. पुलिस ने गिरोह से जुड़े तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें अंकुर गुप्ता निवासी दरियागंज दिल्ली, नरेन्द्र धवन और उनका पुत्र हरनाम धवन निवासी शास्त्रीनगर दिल्ली शामिल हैं.
उद्यमियों की छवि खराब की जाती थी
एसटीएफ को छापेमारी के दौरान आरोपियों के पास से 4 मोबाइल फोन, 62,720 नकद, 1 अमेरिकी डॉलर, 1 फर्जी आधार कार्ड और 17 डाक रसीदें बरामद हुईं. शुरुआती जांच में सामने आया कि यह गिरोह ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग, विकास प्राधिकरण और ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों में फर्जी शिकायतें करता था. इन शिकायतों के बाद मीडिया और यूट्यूब चैनलों पर खबरें छपवाकर उद्यमियों की छवि खराब की जाती थी. इसके बाद गिरोह पीड़ितों से करोड़ों की रंगदारी मांगता था.
बिल्डर से 15 करोड़ रुपये की मांग
सूत्रों के अनुसार गिरोह ने हाल ही में एक बिल्डर से 15 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसे बाद में मोलभाव कर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस रकम का कुछ हिस्सा पहले ही वसूला जा चुका है. मामले की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि इस गिरोह में कुछ पत्रकारों की भी संलिप्तता सामने आई है. बताया जा रहा है कि उन्हें पैसे का लालच देकर इस नेटवर्क से जोड़ा गया था.
कई बिल्डरों के प्रोजेक्ट में हुई देरी
इस गिरोह की वजह से कई बिल्डरों के प्रोजेक्ट में देरी हुई, जिससे फ्लैट खरीदारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. एसटीएफ की जांच में यह भी पता चला है कि गिरोह का अगला टारगेट करोलबाग स्थित यूनिटी ग्रुप, गाजियाबाद के शिप्रा और साया बिल्डर, इंदिरापुरम का हार्मनी बिल्डर और ग्रेटर नोएडा का केशवकुंज प्रोजेक्ट थे.
फिलहाल पुलिस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों और पत्रकारों की भूमिका की जांच कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं.