सोनभद्र : वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत दिए गए पट्टों की कंप्यूटरीकृत खतौनी के लिए सोनभद्र के जुगैल गांव में भ्रष्टाचार का गंभीर मामला सामने आया है.यहां जनजाति समुदाय के लोगों ने क्षेत्रीय लेखपाल धर्मेंद्र यादव पर खतौनी देने के एवज में 4,000 से 8,000 रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है.इस आरोप के बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है और उन्होंने जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की है.
आखिर क्या है पूरा मामला?
जुगैल गांव के टोला चहला में रहने वाले जनजाति समुदाय के लोगों को वन अधिकार अधिनियम के तहत लगभग 900 पट्टे दिए गए थे.ये पट्टे कानूनी रूप से उनके अधिकार हैं, लेकिन जब इन्हें कंप्यूटरीकृत खतौनी के रूप में प्राप्त करने की बारी आई, तो कथित तौर पर भ्रष्टाचार की दीवार सामने आ गई.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि सभी तहसीलों और गांवों में कैंप लगाकर ये खतौनियां मुफ्त दी जाएं, लेकिन जुगैल गांव में ऐसा नहीं हुआ.पट्टाधारकों ने जिलाधिकारी को 8 सितंबर, 2025 को सौंपे गए एक शिकायती पत्र में साफ-साफ लिखा है कि क्षेत्रीय लेखपाल धर्मेंद्र यादव इस काम के लिए उनसे मोटी रकम की मांग कर रहे हैं.
पीड़ितों का दर्द
जनजाति समुदाय के लोगों का कहना है कि वे इस भ्रष्टाचार से बहुत परेशान हैं.उनके कानूनी अधिकारों को पाने के लिए उन्हें पैसों की मांग का सामना करना पड़ रहा है.इस स्थिति ने राजस्व विभाग के कर्मियों के प्रति उनके गुस्से को और बढ़ा दिया है.
इस घटना को सरकारी निर्देशों की खुली अनदेखी और भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण माना जा रहा है, जिसका सीधा असर गरीब और पिछड़े जनजाति समुदाय के लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर पड़ रहा है.
प्रशासन पर दबाव
शिकायत में पट्टाधारकों ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि वे इस मामले की तुरंत जांच कराएं और आरोपी लेखपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करने पर मजबूर होंगे, और इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.