सुपौल: सदर प्रखंड की बरुआरी पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 16 के जिस विद्यालय को वर्षों से अपने ही गांव में लौटने का इंतजार था, वह आखिरकार एक सुंदर, सुसज्जित और आधुनिक भवन में पुनः लौट आया. इस अवसर पर गांव के बच्चे, शिक्षक, अभिभावक और पंचायत प्रतिनिधि गदगद नजर आए. गिदराही गांव में शिक्षा विभाग द्वारा 1990 में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई थी.
1991 में स्थानीय जमीन मालिकों द्वारा इस विद्यालय के लिए निशुल्क भूमि दान दी गई थी. उसी वर्ष भवन निर्माण की राशि भी शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई और निर्माण कार्य प्रारंभ भी हुआ लेकिन कार्य एजेंसी और ग्रामीणों के बीच मतभेद के चलते निर्माण कार्य बाधित हो गया. आपसी विवाद के कारण विद्यालय भवन का निर्माण वर्षों तक अधूरा रह गया. इस बीच ग्रामीणों ने फूस की झोपड़ी में विद्यालय का संचालन कर शिक्षा की लौ जलाए रखा. भवन की अनुपलब्धता के चलते शिक्षा विभाग ने 2013 में इस विद्यालय को गोठ बरुआरी पंचायत के मोहनिया गांव में स्थानांतरित कर दिया. इसके बाद 12 वर्षों तक गिदराही के बच्चों को अपने ही गांव के विद्यालय से वंचित रहना पड़ा.
स्थानीय मुखिया पंकज प्रताप सिंह के नेतृत्व और शिक्षा विभाग के सहयोग से अब गिदराही गांव में तीन कमरों वाला पक्का भवन, दोमंजिला शौचालय, एक किचन शेड, समरसेवल पंप सहित कई आधुनिक सुविधाओं से युक्त विद्यालय भवन तैयार किया गया है. इसके साथ ही ग्राम पंचायत के द्वारा दो अतिरिक्त भवन, गेट और बाउंड्री वाल का भी निर्माण कराया गया है. यह विद्यालय अब गिदराही गांव का शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन चुका है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक आशीष कुमार ने बताया कि 2 सितंबर 2025 को सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ को आवेदन देकर मूल विद्यालय में संचालन की अनुमति मांगी गई थी. विभाग से सात दिनों के भीतर शिफ्टिंग की स्वीकृति प्राप्त हुई.
8 सितंबर को ग्रामीणों, विद्यालय शिक्षा समिति की अध्यक्ष फूल कुमारी देवी, सज्जन यादव, सतनारायण यादव, किशोर यादव और अन्य गणमान्यों की उपस्थिति में पुनः विद्यालय का संचालन प्रारंभ हुआ. इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिका कुमारी लिखा पांडे, पूर्व प्रभारी अनिल कुमार, चंद्रशेखर मंडल, श्याम परवीन सहित सभी शिक्षक एवं बच्चे उल्लासित दिखे. ग्रामीणों ने इस उपलब्धि को गांव के लिए शैक्षणिक पुनर्जन्म की संज्ञा दी. गांव के बुजुर्गों ने भावुक होकर कहा कि हमारे बच्चों को अब दूर नहीं जाना होगा, अब शिक्षा हमारे द्वार पर है. पंचायत और विभाग के संयुक्त प्रयास से यह सपना साकार हुआ है.