बिहार: ‘यह मेरी मिट्टी, मेरी लड़ाई है’, अपने गांव की समस्या देख भावुक हुए अभिनेता मनोज वाजपेयी

बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी का दिल आज भी उनके गांव बेलवा और उसकी मिट्टी से गहराई से जुड़ा है. सिनेमा की दुनिया में चमकने के बाद भी उन्होंने अपनी जड़ों से नाता नहीं तोड़ा है. यही वजह है कि जब उनका गांव बाढ़ और कटाव से त्रस्त है, तो उन्होंने इसे केवल गांववालों की समस्या नहीं, बल्कि “अपनी भी लड़ाई” बताया है.

पांच दिन के दौरे पर जब मनोज वाजपेयी बिहार में अपने गांव पहुंचे, तो उनका मकसद सिर्फ बचपन की यादों को ताजा करना नहीं था, बल्कि गांव की समस्याओं का समाधान कराना भी उनका मकसद था.

मनोज वाजपेयी जब गम्हरिया टोला में ग्रामीणों से मिले तो ग्रामीणों ने उन्हें अपनी समस्या बताई. हर साल पहाड़ी नदियों की बाढ़ से उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है, खेत बह जाते हैं, घर उजड़ जाते हैं और जान-माल का नुकसान होता है.

एक बुजुर्ग की आंखों से बहते आंसू देखकर मनोज की आंखें भी भर आईं. उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ मेरे गांव की नहीं, मेरी भी लड़ाई है, यह मिट्टी मुझे पहचान देने वाली है, अब वक्त आ गया है इसका कर्ज चुकाने का.’

मनोज वाजपेयी ने राज्य सरकार से अपील की कि बेलवा समेत उन सैकड़ों गांवों के लिए ‘बरसात से पहले बचाव के ठोस उपाय किए जाएं, ताकि हर साल जान-माल का नुकसान न हो.’ मनोज ने कहा कि वो इस मुद्दे को सिर्फ एक दौरे में सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि अधिकारियों और नीति-निर्माताओं से मुलाकात कर स्थायी समाधान की कोशिश करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘फिल्मी दुनिया ने मुझे नाम दिया, पर ये गांव मेरी असली दुनिया है. यह दौरा सिर्फ एक अभिनेता का गांव आना नहीं है, बल्कि एक बेटे का अपनी मां जैसी मिट्टी को बचाने की कोशिश है.’

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