बिहार के मुजफ्फरपुर में शिक्षिका का ट्रांसफर होने पर भव्य विदाई समारोह का आयोजन किया गया. दुल्हन की तरह गाड़ी को सजाया गया और बैंड बाजे के साथ विदाई दी गई. विदाई के दौरान शिक्षिका रो पड़ी. महिला का गला फूलों की हार से लदा हुआ था. स्कूल के स्टाफ के अलावा ग्रामीणों और छात्रों ने विदाई समारोह को भव्य बनाया. शिक्षिका मध्य विद्यालय आरोपुर में सेवा दे रही थी.
दरअसल, आदर्श मध्य विद्यालय आरोपुर सरैया प्रखंड में तैनात शिक्षिका के ट्रांसफर के बाद उनका विदाई समरोह हुआ. सरकारी कर्मी का ट्रांसफर या तबादला एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन शायद ही कभी ऐसा देखने को मिलता है कि किसी शिक्षिका के तबादले के बाद भारी संख्या में छात्र-छात्राएं और अभिभावकों की भीड़ उमड़े और उनके विदाई समारोह को यादगार बना दे. कुछ ऐसी ही तस्वीर मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखण्ड के आदर्श मध्य विद्यालय आरोपुर में देखने को मिला.
शिक्षिका रेखा कुमारी चौधरी के तबादले के बाद लोगों ने धूमधाम से बारात निकाली. शिक्षिका रेखा चौधरी के तबादले के मौके पर उनके गले में फूलों का हार पहनाया गया. उनके गाड़ी को भी दूल्हन की तरह फूलों से सजाया गया था. लोगों ने बैंड बाजे के साथ शिक्षिका रेखा चौधरी को विदा किया.
शिक्षिका का विदाई भाषण
शिक्षिका रेखा चौधरी के विदाई से पहले विद्यालय परिसर में विदाई मंच सजाया गया. छात्र-छात्राओं ने शिक्षिका रेखा चौधरी के सम्मान में विदाई भाषण दिया. इस अवसर पर प्रधानाध्यापक ने उन्हें प्रतीक चिन्ह व शाल भेंट कर सम्मानित किया. शिक्षकों ने उन्हें माला पहनाया स्कूल के बच्चों ने उनके विदाई समारोह पर भाषण देकर यादगार बनाया. बच्चों के भाषण से वह भावविभोर हो गई. इस अवसर पर शिक्षिका रेखा चौधरी मंच पर ही भावुक हो गईं. रेखा चौधरी के आंखों से आंसू टपकने लगे. ग्रामीण और छात्र छात्रा भी भावुक हो गए.
‘मैं अपना परिवार छोड़कर जा रही हूं’
शिक्षिका रेखा चौधरी ने भावुक होकर बताया कि यह विद्यालय मेरे परिवार की तरह था. मैं अपने वेतन का सारा पैसा अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच कॉपी किताब के लिए बांट देती थी. मैं इस विद्यालय को नहीं इस परिवार को छोड़कर जा रही हूं, इसलिए दुखी हूं. इस स्कूल में 21 वर्षो से कार्यरत थी, अब इस विद्यालय को तबादले के बाद छोड़कर दूसरे विद्यालय जाना पड़ रहा है. इस विद्यालय में मुझे छात्र-छात्राएं अभिभावक एवं शिक्षकों से जो मुझे सम्मान मिला वो मैं कभी नहीं भूल सकती. शिक्षिका पूजा कुमारी ने बताया की डेढ़ साल से स्कूल में कार्यरत हूं. फिर भी इस विद्यालय से गहरा लगाव हो गया. यहां के सर, मैडम और गांव के लोग बहुत अच्छे हैं. मेरा भी यहां से जाने का मन नहीं कर रहा है, लेकिन तबादला हुआ है तो जाना ही पड़ेगा.
ग्रामीणों ने क्या कहा?
वहीं स्कूल की छात्रा शारदा ने बताया कि स्कूल की शिक्षिका रेखा दीदी देवी हैं. दीदी बच्चों को आर्थिक रूप से सहायता करती है. हम लोग गरीब परिवार से हैं, दीदी हर तरीके से मदद करती है. आज दीदी जा रही है तो बहुत बुरा लग रहा है. जैसे मां छोड़कर जाती है, उस तरह से महसूस हो रहा है. इनको अगर शिक्षक कहा जाए तो बहुत गलत है. ये बच्चों को पढ़ाती नहीं थी बल्कि बच्चों को मां की तरह प्यार करती थी. छोटे-छोटे बच्चों को देखिए क्या स्थिति है. स्कूल से जाने के गम में उदास बैठे हुए है. जैसे मां उनको छोड़कर कहीं जा रही है.