ये तो गजब हो गया! एक साल पहले श्मशान में जिसको जलाया, फिर उसी का दाह संस्कार करने पहुंचे; सच जान पकड़ लेंगे माथा

मध्य प्रदेश के उज्जैन में मृत्यु प्रमाण पत्र न होने पर जमीन के दस्तावेज बनाने को लेकर आए दिन हो रही लड़ाई से बचने के लिए तीन लोगों ने ऐसा कदम उठाया कि अब वे खुद पुलिस गिरफ्त में पहुंच चुके हैं. इन लोगों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए उज्जैन के चक्रतीर्थ शमशान घाट पहुंचकर अपने पिता को मरा हुआ बताकर अंतिम संस्कार करने की सामग्री खरीद ली, लेकिन सामग्री खरीदने आए लोगों की संख्या सिर्फ तीन से चार थी. इसीलिए ट्रस्ट के लोगों को शक हुआ और जब उन्होंने इन लोगों से सख्ती से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हो गया.

जीवाजीगंज थाना पुलिस के मुताबिक, चक्रतीर्थ ट्रस्ट के द्वारा यह सूचना मिली थी कि कुछ लोग बिना लाश को लाए ट्रस्ट की रसीद पाने के लिए लकड़ी कंडे खरीद रहे थे. इन लोगों ने लालचंद नामक व्यक्ति को मृत बताकर उनके नाम से अंतिम संस्कार की सामग्री खरीदी और यह लोग सामग्री ले जाने भी लगे. लेकिन इस दौरान रसीद बनाने वाले तरुण पिता रेणुकुमार खत्री ने जब सिर्फ चार लोगों को लकड़ी कंडे ले जाते देखा तो उन्हें कुछ शंका हुई. उन्होंने तुरंत कार्यालय के कुछ लोगों को नीचे शमशान घाट पर पहुंचाया तो देखा कि ना तो यहां कोई लाश थी और ना ही अंतिम संस्कार करने वाले अन्य लोग. इस गड़बड़ी पर ट्रस्ट के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने तुरंत इन जालसाजों को पकड़ा और पुलिस के सुपुर्द कर दिया.

पूछताछ कर रही पुलिस

जीवाजीगंज थाना प्रभारी विवेक कनोडिया ने बताया कि इस पूरे मामले में पकड़े गए लोगों से कड़ी पूछताछ की जा रही है. यह लोग अपने आपको लालचंद का बेटा बता रहे हैं, लेकिन यह लोग कितना सच बोल रहे है. इसकी जांच अभी की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद ही इनके खिलाफ कार्रवाई होगी.

इसीलिए हुआ शकचक्रतीर्थ ट्रस्ट के लोगों को इसीलिए इन लोगों पर शक हुआ क्योंकि यह लाश लावारिस नहीं थी. अगर किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार परिवार के लोग करते है तो कम से कम 8 से 10 लोग तो उपस्थित रहते ही हैं. लेकिन सिर्फ तीन से चार लोग लाश को शमशान घाट कैसे लाएं होंगे. यही सोचने के बाद कर्मचारियों को इन लोगों के साथ भेजा गया और कार्रवाई करते हुए सभी लोगों को पकड़ लिया गया.

रसीद गुम हुई तो रच डाली साजिश

इस पूरी सजिश को सिर्फ इसीलिए रचा गया क्योंकि लालचंद जिसकी मौत एक वर्ष पहले हो गई थी. उसकी अंतिम संस्कार की रसीद परिवार के लोगों से कहीं गुम हो गई थी. लालचंद की प्रॉपर्टी के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत थी, लेकिन इस रसीद के न होने पर यह प्रमाण पत्र नहीं बन रहा था. यही कारण था कि पकड़े गए लोगों ने रसीद ना मिलने पर यह साजिश रच डाली.

उज्जैन में रहता था मृतक

मृतक लालचंद उज्जैन में ही रहता था और उसका अंतिम संस्कार भी चक्रतीर्थ शमशान घाट उज्जैन पर 1 साल पहले हुआ था. लेकिन बेटों ने 1 साल पहले मिली शमशान घाट की रसीद को संभाल कर नहीं रखा और अब जब इस रसीद की जरूरत पड़ी तो इसे फिर से बनवाने की प्रक्रिया समझने की बजाय, इस तरह की साजिश रच डाली, जिससे अब वह खुद भी पुलिस गिरफ्त में है.

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