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ये है दिवाली की असली खुशी! गरीब जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान भी और प्रकृति का ख्याल भी

 

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राजगढ़: दीपावली का पर्व हमारे जीवन में कई तरह की खुशियां और उम्मीद लेकर आता है,ऐसी ही उम्मीदें उन गरीब तबके और परिवार की भी है,जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन समर्थ लोगों या सामाजिक संस्थानों के बुलावे के इंतेज़ार में रहते है जो गरीब तबके के लिए काम करते है.

राजगढ़ जिले की यदि हम बात करे तो यहां. ऐसी कई सामाजिक संस्थाएं है जो अपने अपने स्तर से जरूरतमंद लोगों की मदद करती है,उन्ही में से एक खुशियों का ओटला भी है ,जिसका संचालन सुरजीत सिंह करते है,और ये संस्था गरीब तबके के लिए मैदानी स्तर पर काम करती हुई नजर आती है,जिसका काम गरीब लोगों के चेहरे पर त्योहारों के समय में मुस्कान देखना है,इसलिए संस्था त्योहार आने से पहले ही जरूरत का सामान गरीब तबके के लोगों को मुहैय्या कराने में कोई कौर कसर बाकी नहीं छोड़ती.

उसी क्रम में जहां पूर्व में संस्था के द्वारा जहां लगभग 150 महिलाओं और 120 बच्चों जरूरतमंद बच्चों को उपहार स्वरूप,नए कपड़े और खिलौने बाटे गए,वही धनतेरस पर्व पर खरीदारी करने के लिए आने वाले स्थानीय आमजन को पर्यावरण सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कपड़े के झोले वितरित किए गए.

 

संस्था के संचालक सुरजीत सिंह का कहना है कि,हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी खुशियों के ओटले परिवार के द्वारा गरीब व जरूरतमंद महिलाएं व बच्चों में खुशियां बांटने का कार्य करते हुए नई साड़ियां ओर बच्चों को नए कपड़े ,फटाके वितरण किए गए, डॉ सिंह ने कहा कि,दिवाली का यह पर्व प्रकाश व उत्साह का पर्व होता है, ऐसे में किसी और के जीवन में रोशनी करना और खुशियां बांटना ही मानव का असली धर्म है.

भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने पर जिस तरह पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था उसी तरह खुशियों का ओटला हर वर्ष हैप्पी किट बनाकर गरीबों में खुशियां बांटने का कार्य करता आ रहा है, हमारी टीम अलग-अलग गरीब बस्तियों में जाकर यह कपड़े और मिठाइयां बांटने का कार्य करती है,और शहर में लोगों के घर से उनका अनुपयोगी सामान एकत्रित कर जरूरतमंद लोगों में बांटने का कार्य करती है, जन सहयोग से प्राप्त यह सामग्री को ओटले पर ला कर व्यवस्थित ढंग से यहाँ पर आने वाले लोगों में बांटा जाता है.

वहीं सुरजीत बताते है कि,जन सहयोग से प्राप्त कपड़े जो खुशियों के ओटले पर आते हैं उन कपड़ों में से बेटियों द्वारा झोले का निर्माण किया जाता है. और उन झोलों को व्यवस्थित तरीके से बनाकर बाजार में निशुल्क बांटने का कार्य भी संस्था द्वारा किया जाता है.

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