‘ये ट्रंप की आदत… वो कूद जाते हैं और सारा क्रेडिट खुद ले जाते हैं’, भारत-पाक सीजफायर पर पूर्व अमेरिकी NSA ने खरी-खरी सुनाई

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हर चीज में क्रेडिट लेने की आदत पर शीर्ष पूर्व अमेरिकी डिप्लोमैट ने टिप्पणी की है. खास बात यह है कि ये अधिकारी ट्रंप प्रशासन में ऊंचे ओहदे पर काम भी कर चुके हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके जॉन बोल्टन ने कहा है कि यह ट्रंप की आदत है कि वो मामले में कूद जाते हैं और इससे पहले कि कोई और क्रेडिट ले वे खुद सारा श्रेय ले जाते हैं. जॉन बोल्टन ने कहा कि इस कुछ भी भारत के खिलाफ निजी नहीं है.

Advertisement

जॉन बोल्टन ने अपने पूर्व बॉस डोनाल्ड ट्रंप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ट्रंप को श्रेय लेने की आदत है, चाहे वह श्रेय के हकदार हों या नहीं. बोल्टन ने कहा कि इसका ताजा उदाहरण ट्रंप का भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने का दावा है. भारत ने इस दावे को खारिज किया है.

पिछले कुछ सालों से अमेरिकी विदेश नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाने वाले जॉन बोल्टन ने कहा कि ये निजी हित का मामला नहीं है, ये डोनाल्ड ट्रंप हैं जो किसी भी चीज का श्रेय खुद ले जाते हैं. बोल्टन ने तथ्यों की परवाह किए बिना ट्रंप के सुर्खियों में आने की आदत को रेखांकित किया.

बता दें कि जॉन बोल्टन ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. लेकिन तब ट्रंप ने बोल्टन को नौकरी से हटा दिया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार तब इन दो दिग्गजों के बीच ईरान, उत्तर कोरिया और अफगानिस्तान को लेकर अमेरिकी विदेश नीति का रुख क्या हो, इस पर दोनों के बीच टकराव था.

‘ट्रंप ट्रंप ही हैं’

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जॉन बोल्टन, जो कड़वी और खरी बात कहने के लिए जाने जाते हैं ने ट्रंप की पर्सैनेलिटी को समझाते हुए कहा, “मुझे लगता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत की थी, और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी इस बातचीत में शामिल थे. मुझे यकीन है कि अन्य देश भी यह देखने के लिए बातचीत कर रहे होंगे कि वे क्या कर सकते हैं।. यह ट्रम्प की खासियत है क्योंकि वे हर किसी के श्रेय लेने से पहले ही कूद पड़ते हैं. यह परेशान करने वाला हो सकता है, शायद कई लोगों को परेशान करने वाला हो, लेकिन यह भारत के खिलाफ कुछ नहीं है, यह सिर्फ ट्रम्प का ट्रम्प होना है.”

बोल्टन ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिकी मध्यस्थता के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम हुआ. इस घातक हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की थी, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था. इस हमले में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया था.

बोल्टन यह टिप्पणी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बीच आई है जिसमें उन्होंने बुधवार को कहा था कि उन्होंने परमाणु संपन्न पड़ोसी भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता को रोकने में अहम भूमिका निभाई है.

ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “अगर आप देखें कि हमने पाकिस्तान और भारत के साथ क्या किया है – तो हमने उस पूरे मामले को सुलझा लिया है.” “मुझे लगता है कि मैंने इसे व्यापार के जरिए सुलझा लिया है. हम भारत के साथ एक बड़ा ट्रेड कर रहे हैं. हम पाकिस्तान के साथ एक बड़ा ट्रेड कर रहे हैं.”

ट्रंप ने कहा, “किसी को तो आखिरी में गोली चलानी ही थी. दोनों देशों के बीच फायरिंग बढ़ती जा रही थी और ये दोनों देश के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंचने लगी थी. हमने उनसे बात की और मुझे लगता है कि हमने इस मामले को सुलझा लिया है.”

बता दें कि जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने जवाबी हमले में 9 मई को पाकिस्तान के एयरबेस को ध्वस्त कर दिया था इसके बाद पाकिस्तान सेना के DGMO सीजफायर की गुहार लगाने लगे. तब दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराने में अमेरिका के अलावा कई देश शामिल थे. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 मई की शाम को ट्वीट किया कि “संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की वार्ता के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. दोनों देशों को कॉमन सेंस और अद्भुत बुद्धिमता का उपयोग करने के लिए बधाई. इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!”

इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच 86 घंटे की लड़ाई के बाद युद्धविराम हुआ था. हालांकि युद्धविराम में भारत किसी तीसरे देश की सीधी भागीदारी से इनकार किया था.

 

Advertisements